जानकारी छिपाने पर नियुक्ति पर रोक याची को 1998 की पुलिस भर्ती में चयनित किया गया था। लेकिन उसने अपने आपराधिक किस्से की जानकारी छिपाई थी जिस कारण उसे नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया। उसके खिलाफ 1991 में आपराधिक केस दर्ज हुआ था, जिसमें वह 1999 में बरी हो चुका है। नियुक्ति न मिलने पर याचिका ने चुनौती दी तो कोर्ट ने आदेश रद्द कर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। गलत जानकारी देने पर धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ, जिसके आधार पर नियुक्ति नहीं दी गई।
23 साल बाद नियुक्ति का निर्देश याचिका पर अधिवक्ता राजेश यादव ने बहस की। 04 अगस्त, 2017 के इस आदेश को चुनौती दी गई। कोर्ट ने कहा कि जब हाईकोर्ट ने जानकारी छिपाने पर नियुक्ति से इनकार के आदेश को रद्द कर पुनर्विचार का निर्देश दिया तो उसी आधार पर दोबारा नियुक्ति देने से इनकार करना सही नहीं है। याची आपराधिक केस में बरी हो चुका है तो धोखाधड़ी के केस का कोई मायने नहीं है। कोर्ट ने कहा कि 23 साल बाद विभाग को भेजने के बजाय निर्देश देना उचित रहेगा और याची को कांस्टेबल पद पर सिविल पुलिस या कार्यालय में तैनात करने का निर्देश दिया।