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कोर्ट ने कहा कि अपराध के निष्कर्ष पर पहुंचने में ट्रायल कोर्ट ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 33 की मदद से सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज एक गवाह के बयान पर भरोसा किया। वह इस कार्रवाई से असहमत है। केस पृष्ठभूमि रात में शिकायतकर्ता के पिता को गोली मार दी गई। शिकायतकर्ता अपने पिता के साथ अस्पताल पहुंचा, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। जांच के बाद अपीलकर्ताओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया। विशेष न्यायाधीश द्वारा अपीलकर्ताओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 302/34 और उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स असामाजिक गतिविधि अधिनियम, 1986 की धारा 2/3 के तहत आरोप तय किए गए और अपीलकर्ता को दोषी ठहराया गया। यह भी पढ़ें