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High Court ने चुनाव आयोग से पूछा- आप पर क्यों न चले आपराधिक अभियोग, Coronavirus पर सरकार के प्लान को भी किया फेल

High Court on UP Panchayat Elections and Coronavirus: हाईकोर्ट ने सरकार के प्लान को खारिज करते हुए नये सिरे से प्लान तैयार करने का आदेश दिया है और कहा है कि अभी तक के प्लान के भरोसे हम सुरसा के मुंह की तरह फैले पेन्डेमिक का सामना करने मे सक्षम नहीं हैं।

प्रयागराजApr 28, 2021 / 10:32 am

Abhishek Gupta

हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा- क्यों न चले आपराधिक अभियोग, कोरोना पर सरकार के प्लान को किया फेल

इलाहाबाद. (High Court on UP Panchayat Elections and Coronavirus) यूपी पंचायत चुनाव में ड्यूटी पर तैनात 135 लोगों की मौत के मामले पर अब हाईकोर्ट ने बेहद सख्त रुख अख्तियार किया है। हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को आड़े हाथों लेते हुए नोटिस जारी किया और कहा है कि यूपी पंचायत इलेक्शन के दौरान सरकारी गाइडलाइंस का पालन क्यों नहीं किया गया। ऐसे में अब ड्यूटी कर रहे करीब 135 सरकारी कर्मचारियों की मौत की खबर है। हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब है मांगा कि क्यों न उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए और आपराधिक अभियोग चलाया जाए। इसके अलावा कोर्ट ने बचे चुनाव और मतगणना में तुरंत कोरोना गाइडलाइंस का पालन सुनिश्चित कराने का आदेश भी सुनाया है। इसके अलावा अब आदेश की अवहेलना करने पर चुनाव करवा रहे अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। वहीं कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए सरकारी रवैये की भी हाईकोर्ट ने सख्त आलोचना की है। कोर्ट ने कहा कि सरकार का प्लान फेल है। सरकार माय वे या नो वे (मेरा रास्ता या कोई रास्ता नहीं) का तरीका छोड़े और लोगों के सुझावों पर भी अमल करे। जिससे लोगों की जान बचाई जा सके।
हाईकोर्ट का सुझाव

हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस संक्रमण से ज्यादा संक्रमित नौ शहरों के लिए कई अहम सुझाव भी दिए हैं। साथ ही उन पर अमल करने और सचिव स्तर के अधिकारी के हलफनामे के साथ 3 मई तक अनुपालन रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा है। हाईकोर्ट ने प्रदेश के नौ शहरों, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर नगर, आगरा, गोरखपुर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर और झांसी के जिला जजों को आदेश दिया है कि सिविल जज सीनियर रैंक के न्यायिक अधिकारी को नोडल अधिकारी के रूप मे तैनात करें। ये शासन की ओर से बनाई गई कोरोना मरीजों की रिपोर्ट सप्ताह के अंत में महानिबंधक हाईकोर्ट को भेजें। मामले की अगली सुनवाई अब 3 मई को होगी।
सरकार के उपायों को बताया नाकाफी

यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश सिद्धार्थ वर्मा और अजित कुमार की खंडपीठ ने कोरोना मामले में कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि कोरोना का भूत गली, सड़क पर दिन-रात मार्च कर रहा है। लोगों का जीवन भाग्य भरोसे है, कोरोना के भय से लोगों ने स्वयं को अपने घरों में लॉकडाउन कर लिया है। सड़कें रेगिस्तान की तरह सुनसान हैं। भारी संख्या मे लोग संक्रमित हो रहे हैं और जीवन बचाने के लिए बेड की तलाश में अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं। अस्पताल मरीजों की जरूरत पूरी करने मे असमर्थ हैं। डॉक्टर, स्टाफ थक चुके है। जीवन रक्षक दवाएं, इंजेक्शन की मारामारी है। ऑक्सीजन, मांग और आपूर्ति के मानक पर खरी नहीं उतर रही। सरकार के उपाय नाकाफी हैं।
सरकार बनाए नया प्लान

हाईकोर्ट ने सचिव गृह तरूण गुप्ता द्वारा उठाए गए कदमों और बनाई योजना को मानने से साफ इनकार कर दिया और कुछ सुझाव देते हुए अमल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा है कि बडे़ शहरों में मरीजों की हेल्थ बुलेटिन जारी की जाए। जिससे मरीजों के परिजन का अस्पताल पर दबाव न बढे़ और अस्पताल की सफाई आदि आसानी से हो सके। कोर्ट ने निर्देश दिया कि जिला पोर्टल पर अस्पतालो में बेड की स्थिति की जानकारी दी जाए। कोर्ट ने चेतावनी देत हुए कहा है कि पेपर वर्क बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इन सभी सुझावों पर राज्य सरकार को अमल करना होगा। कोर्ट ने सरकार के प्लान को खारिज करते हुए नये सिरे से प्लान तैयार करने का आदेश दिया है और कहा है कि अभी तक के प्लान के भरोसे हम सुरसा के मुंह की तरह फैले पेन्डेमिक का सामना करने मे सक्षम नहीं हैं। हाईकोर्ट नए प्लान का ब्लू प्रिंट कोर्ट को देने को कहा है, जिससे इस महामारी से जंग जीती जा सके।
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