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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की जमानत याचिका पर राज्य सरकार मंगा जवाब, कहा- 14 मार्च तक दाखिल करें जवाबी हलफनामा

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस राजेश सिंह चौहान की खंडपीठ ने मामले को 14 मार्च को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। साथ ही स्पष्ट किया कि यदि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जवाबी हलफनामा दायर नहीं किया जाता है तो जमानत आवेदन पर सुनवाई की जाएगी और अंतिम रूप से निपटारा किया जाएगा। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एजीए द्वारा दिए गए तर्क को भी खारिज कर दिया।

प्रयागराजMar 02, 2022 / 11:30 pm

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की जमानत याचिका पर राज्य सरकार मंगा जवाब, कहा- 14 मार्च तक दाखिल करें जवाबी हलफनामा

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कथित हाथरस साजिश मामले में केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन के खिलाफ दर्ज मामले को लेकर राज्य सरकार से जवाबी हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने सरकार को 14 मार्च तक का समय दिया है। हाथरस साजिश मामले में पत्रकार के ऊपर राजद्रोह, यूएपीए मामले के संबंध में द्वारा दायर जमानत याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा। यह याचिका लखनऊ में एनआईए कोर्ट के समक्ष लंबित है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस राजेश सिंह चौहान की खंडपीठ ने मामले को 14 मार्च को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। साथ ही स्पष्ट किया कि यदि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जवाबी हलफनामा दायर नहीं किया जाता है तो जमानत आवेदन पर सुनवाई की जाएगी और अंतिम रूप से निपटारा किया जाएगा। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एजीए द्वारा दिए गए तर्क को भी खारिज कर दिया।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में जमानत अर्जी के विचारणीयता के संबंध में प्रारंभिक आपत्ति उठाते हुए। यह एजीए का निवेदन है कि एफआईआर जिला मथुरा में दर्ज किया गया और वहां जांच भी की गई। इसलिए, यह जमानत याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष दायर की जानी चाहिए। इसके जवाब में कोर्ट ने कप्पन के वकील, ईशान बघेल की दलील को ध्यान में रखते हुए कहा कि चूंकि कप्पन के खिलाफ मामले की सुनवाई लखनऊ में चल रही है, इसलिए वर्तमान जमानत आवेदन पर विचार किया जा सकता है।
राजद्रोह का लगा आरोप

लखनऊ में एनआईए कोर्ट के समक्ष कप्पन के खिलाफ मामला उल्लेखनीय है कि दिसंबर, 2021 में मथुरा की एक स्थानीय अदालत ने कथित हाथरस साजिश मामले में कप्पन और सात अन्य के खिलाफ दर्ज राजद्रोह, यूएपीए मामले को लखनऊ की एक विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की अदालत में स्थानांतरित कर दिया था। कप्पन और अन्य पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), राजद्रोह (आईपीसी की धारा 124-ए), धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना (आईपीसी की धारा 153-ए), धार्मिक भावनाओं (आईपीसी की धारा 295-ए) की धारा 17 और 18 और आईटी अधिनियम की धारा 65, 72 और 75 की के तहत आरोप लगाए गए हैं।
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पत्रकार कप्पन के साथ ही उनके सहयोगी के खिलाफ मथुरा पुलिस ने हाथरस जाते समय गिरफ्तार किया था। पत्रकार कप्पन के साथ उनके सातों आरोपी के खिलाफ शांति भंग और दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके बाद उनको अदालत में पेश किया और 14 दिन न्यायिक भेज दिया गया। इसके बाद जांच एजेंसी ने राजद्रोह का आरोप तय किया।

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