कोर्ट ने कहा है कि यदि वकील हड़ताल पर चले जाय तो शादी को सुनकर कार्यवाही पूरी की जाय।यदि कोर्ट कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न किया जा रहा हो तो पुलिस की सहायता ली जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अशोक यादव की तहसीलदार महेंद्र बहादुर के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता आर एन यादव व अभिषेक कुमार यादव ने बहस की।
इनका कहना है कि कोर्ट ने तहसीलदार को 25 फरवरी 21को चार माह में कार्यवाही पूरी करने का आदेश दिया था। किंतु आये दिन वकीलों की हड़ताल के कारण सुनवाई नहीं हो सकी है।जिसके कारण आदेश का पालन नहीं किया जा सका है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के हवाले से कहा कि वकील कोर्ट आफीसर है। उन्हें हड़ताल पर जाने का अधिकार नहीं है।और न ही किसी कोर्ट का बहिष्कार कर सकते हैं। वकीलों का हड़ताल पर जाना सुप्रीम कोर्ट को फैसले की अवहेलना करना है।
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