एचएक्यू-सेंटर फॉर चाइल्ड राइट्स द्वारा तैयार तथ्यात्मक रिपोर्ट के आधार पर एनजीओ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया है कि सीएए-एनआरसी के विरोध-प्रदर्शन के दौरान मुजफ्फरनगर, बिजनौर, सम्भल और लखनऊ में कई नाबालिगों को अवैध तरीके से हिरासत रखा गया और उन्हें प्रताड़ित किया गया।
रिपोर्ट में बताई जुल्म की दास्तां
एचएक्यू सेंटर फॉर चाइल्ड राइट्स एनजीओ ने 31 जनवरी 2020 को एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट में सीएए-एनआरसी के दौरान गिरफ्तार हुए नाबालिगों पर यूपी पुलिस के अत्याचार की दास्तां बताई गई थी। इसमें बताया गया कि पुलिस हिरासत में नाबालिगों से अमानवीयता और क्रूरता की सारी हदें पार की गईं, जो संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बच्चों को दिये गये अधिकारों के खिलाफ है।
एचएक्यू सेंटर फॉर चाइल्ड राइट्स एनजीओ ने 31 जनवरी 2020 को एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट में सीएए-एनआरसी के दौरान गिरफ्तार हुए नाबालिगों पर यूपी पुलिस के अत्याचार की दास्तां बताई गई थी। इसमें बताया गया कि पुलिस हिरासत में नाबालिगों से अमानवीयता और क्रूरता की सारी हदें पार की गईं, जो संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बच्चों को दिये गये अधिकारों के खिलाफ है।
बीते वर्ष हुआ था विरोध-प्रदर्शन
दिसम्बर 2019 में सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हुई हिंसा में तमाम लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें कई नाबालिग थे।
दिसम्बर 2019 में सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हुई हिंसा में तमाम लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें कई नाबालिग थे।