मामले की सुनवाई शुरू हुई तो मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी दलील पेश करते हुए उन्होंने ने कहा कि वक्फ कानून के प्रावधान केवल मुस्लिमो पर ही लागू होंगे। इस कानून में मुश्लिमों के आपसी विवाद ही तय किए जा सकते हैं। वक्फ कानून हिंदुओं पर लागू नहीं होता। रस्तोगी ने कहा यदि वक्फ बोर्ड और गैर मुस्लिम के बीच विवाद हो तो हिंदू पक्ष को नोटिस देना जरूरी है। प्रश्नगत मामले में वादियों को नोटिस नहीं दी गई है। इसलिए विवादित संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं मानी जा सकती।
रस्तोगी ने कहा कि 1995 के वक्फ कानून लागू होने के बाद संपत्ति वक्फ बोर्ड में पंजीकृत हो या अपंजीकृत हो,दोनों स्थिति में दुबारा पंजीकृत करानी होगी। विवादित संपत्ति कभी भी वक्फ कानून में पंजीकृत नहीं हुई। इसलिए संपत्ति वक्फ की संपत्ति नहीं हो सकती। रस्तोगी ने कहा कि औरंगज़ेब ने मंदिर तोड़ने का आदेश दिया किन्तु मस्जिद बनाने का आदेश नहीं दिया।क्योंकि इस्लामिक कानून के अनुसार विवादित जमीन पर मस्जिद नहीं बन सकती। मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कर अवैध रूप से स्थानीय मुसलमानों ने मस्जिद का निर्माण किया है। औरंगजेब ने मालिकाना हक नहीं लिया। सतयुग से स्वयं भू आदि विश्वेश्वर नाथ मंदिर है।पूरी संपत्ति मूर्ति में निहित है। संपत्ति पर मंदिर का ही स्वामित्व है। इसलिए 1991का कानून इस मामले में लागू नहीं होगा। रस्तोगी ने कहा कि उ प्र काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट 1983मे मंदिर की परिभाषा दी गई है।इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में वैध करार दिया है। इसलिए अवैध रूप से बनी मस्जिद या वक्फ का कोई अस्तित्व नहीं है।
यह भी पढ़ें