उत्तर प्रदेश सहित पूर्वांचल में पिछले चार दशक से कांग्रेस अपनी जमीन तलाशने में जुटी है। ऐसे में नेहरू-गांधी परिवार के पैतृक शहर से एनएसयूआई ने दो दशक बाद दो पदों पर बड़ी जीत हासिल की है। जीत इसलिए बड़ी है, क्योंकि इविवि छात्रसंघ चुनाव से पहले एनएसयूआई को पैनल के सभी पदों के लिए उम्मीदवार तक नहीं मिले थे। पहली बार ऐसा हुआ था जब छात्रसंघ चुनाव में एनएसयूआई ने उपाध्यक्ष और उपमंत्री के पद पर अपने दावेदारों को उतारा था और दोनों पदों पर सफलता मिली।
बता दें कि 1996 में संजय तिवारी एनएसयूआई के बैनर से महामंत्री बने और 2003 में संजय तिवारी ही अध्यक्ष चुने गए गए। 2004 में आखिरी बार मनोज सिंह एनएसयूआई से उपाध्यक्ष बने थे । उसके बाद से अब एनएसयूआई तक किसी उम्मीदवार को बड़े पद पर जीत नहीं मिली थी। लंबे समय बाद कांग्रेस में युवाओं का विश्वास दिखा है, जो देश में आने वाले लोकसभा चुनाव और पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण होने जा रहा है।
बता दें कि विश्वविद्यालय में उपाध्यक्ष पद पर जीते अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के चंदौली के रहने वाले हैं। इनकी शिक्षा— दीक्षा चंदौली के नवोदय विद्यालय में हुई है। अखिलेश यादव ने छात्रसंघ चुनाव में दावेदारी के बाद लगातार लड़ाई में बने रहे। चुनाव के आखिरी 24 घंटे में अखिलेश ने बाजी मारी और सभी समीकरणों को ध्वस्त कर दिया। लंबे समय बाद एक बार फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन पर कांग्रेस का झंडा लहराया।
अखिलेश हॉकी प्लेयर हैं और जूनियर नेशनल के साथ इंटर यूनिवर्सिटी खेल चुके हैं। चंदौली के छरबन्हिया गांव के अखिलेश के पिता अवधेश यादव किसान हैं। अखिलेश यहां हालैंड हॉल छात्रावास में रहते हैं। विश्वविद्यालय में बीए तृतीय वर्ष के छात्र हैं। अखिलेश अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। बड़ा भाई पिता के साथ खेती किसानी का काम करता है।उससे छोटा भाई सेना में सिपाही है और जम्मू कश्मीर में तैनात है।