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क्षमा बड़न को चाहिये, छोटन को उत्पात, मां-बेटी के विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी ये नसीहत

इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने एक मामले की सुनवाई के दौरान श्लोक और रहीम के दोहों का मतलब समझाया। मामला है मां बेटी के आपसी विवाद का। आइए जानते हैं।

प्रयागराजOct 16, 2024 / 08:11 am

Prateek Pandey

इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने तैत्तिरीय उपनिषद से ‘मातृ देवो भवः’ का उल्लेख करते हुए कहा कि हर संतान का कर्तव्य है अपनी मां का सम्मान करना। उन्होंने रहीम के दोहे ‘क्षमा बड़न को चाहिये, छोटन को उत्पात’ का हवाला देते हुए बेटी को मां की जिम्मेदारी निभाने के लिए भी कहा।

क्या है पूरा मामला

हाईकोर्ट ने मां-बेटी के विवाद पर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए बेटी को मां के चिकित्सा खर्च का 25 प्रतिशत चुकाने का आदेश दिया है। यह मामला रांची के एक अस्पताल में भर्ती मां के इलाज से जुड़ा है जहां बेटी संगीता कुमारी ने अदालत से अपनी मां की देखभाल और खर्च के मुद्दे पर समाधान मांगा था। जस्टिस शमशेरी ने अपने निर्णय में रहीम के दोहों का उल्लेख करते हुए कहा कि मां का सम्मान करना हर संतान की जिम्मेदारी है। उन्होंने तैत्तिरीय उपनिषद और रहीम के दोहे के माध्यम से बेटी को अपनी मां के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने का निर्देश दिया।
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संगीता कुमारी ने दिया ये तर्क

संगीता कुमारी ने परिवार अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि अदालत ने उसे अपनी मां की देखभाल के लिए हर महीने 8,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया था। मां ने गुजारे के लिए आवेदन दिया था, जबकि संगीता का तर्क था कि उसकी चार और बहनें हैं जो संपत्ति में हिस्सा पा चुकी हैं। परिवार अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद उसने हाईकोर्ट में अपील की।
हाईकोर्ट ने संगीता से कहा कि उसे अपनी मां की जिम्मेदारी निभानी चाहिए और उसे इलाज पर खर्च का कम से कम 25 प्रतिशत चुकाना होगा। अदालत ने यह भी कहा कि मां-बेटी के रिश्ते में प्रेम बनाए रखने के लिए सम्मान और देखभाल का भाव महत्वपूर्ण है। मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।

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