जीवन शैली हो गई है बदल कोरोना फोबिया एक प्रकार से मानशिक बीमारी है। जिस घर के लोग कोरोना संक्रमण की वजह से जान गवाई है उस घर के लोग आज भी उस दहशत से बाहर नहीं निकल पाए हैं। कोई इंटरनेट मीडिया पर सिर्फ कोरोना संबंधित पोस्ट देख रहा है तो कुछ लोगों के अंदर ऐसे खबरों से चिड़चिड़ापन सा आ गया है। मोतीलाल नेहरू के मनोचिकित्सक विभाग के चिकित्सक कहते हैं कि जब-जब ऐसे संक्रमण के केश बढ़ते हैं तो तब-तब ऐसे लोगों का अवसाद बढ़ जाता है। ये लोग मौत को करीब से देखने की वजह से मस्तिष्क का संतुलन बिगड़ जाता है। जिसकी वजह से एंजाइटी की समस्या बढ़ जाती है। जिसकी वजह से प्रयागराज में आठ गुना मरीज कोरोना फोबिया से ग्रसित हैं। हर रोज 20 से 25 लोग इस बीमारी से ग्रसित होकर पहुंच रहे हैं।
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मानसिक जांच है जरूरी मानसिक अवसाद के रोगियों के मन में कोरोना को लेकर तरह-तरह के सवाल आते हैं। मन में शक अधिक हो जाता है। ऐसे के इस तरह रोगियों के अंदर से मन का बहम निकालना जरूरी होता है। उनकी एंजाइटी बढ़ी मिलती है। यह भी पढ़ें