जानकारों का कहना है कि दुनिया का सबसे कठिन व्रत छठ महाव्रत है। इसमें चूल्हे पर आम की लकड़ियों से प्रसाद बनाना, 36 घंटे तक निराजल व्रत रहना, बिना सिलाई का कपड़ा पहनना, जमीन पर सोना। यह पूरी प्रक्रिया एक बहुत बड़ी साधना है। व्रती महिलाओं को इस तरह की तपस्या सबसे अलग बनाती है। आचार्य सच्चिदानंद तिवारी कहते हैं कि यह महाव्रत जितना मनभावन है उतना ही कठिन भी है। इसके नियम को निभाना अपने आप में एक तपस्या है। नहाय खाय के साथ छठ के अनुष्ठान नियम आरंभ हो जाते हैं। खरना के बाद निराजल व्रत भी आरंभ होता है, जो उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही पूर्ण होता है। इस अवधि में व्रती को खुद ही पूजन का प्रसाद भी तैयार करना होता है। शुद्धता का भी ध्यान रखना पड़ता है।