हिंदू पक्ष का कहना है कि शाही ईदगाह का ढाई एकड़ का क्षेत्र कोई मस्जिद नहीं, बल्कि भगवान कृष्ण का गर्भगृह है। मुस्लिम पक्ष ने तर्क दिया था कि यह विवाद 1968 के समझौते का है और इतने साल बाद समझौते को चुनौती देना उचित नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि मुकदमा सुनवाई के योग्य नहीं है। हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की इस दलील को अस्वीकार कर दिया।
इदगाह पक्ष का तर्क
हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल 18 याचिकाओं को शाही ईदगाह कमेटी के वकीलों ने हाईकोर्ट में ऑर्डर 7, रूल 11 के तहत चुनौती दी। शाही ईदगाह कमेटी के वकीलों ने बहस के दौरान कहा कि मथुरा कोर्ट में दाखिल याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि यह मामला पूजा स्थल अधिनियम 1991 और वक्फ एक्ट के साथ लिमिटेशन एक्ट से बाधित है। इसलिए इस मामले में कोई भी याचिका दाखिल नहीं की जा सकती और न ही इसे सुना जा सकता है।
हिंदू पक्ष का तर्क
हिंदू पक्ष का तर्क था कि इस मामले पर पूजा स्थल अधिनियम या वक्फ बोर्ड कानून लागू नहीं होता है। उनका कहना है कि शाही ईदगाह परिसर, श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन पर स्थित है। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि समझौते के तहत मंदिर की जमीन शाही ईदगाह कमेटी को दी गई, जो नियमों के खिलाफ है।