सर्कुलर जारी करने का आदेश कोर्ट ने राज्य सरकार को इस आदेश का पालन करने के लिए सर्कुलर जारी करने को कहा है। सभी कानूनी मुद्दों पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि समाज एक आर्थिक और सामाजिक बदलावों से गुजर रहा है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन की स्वतंत्रता व निजता के अधिकार की गारंटी है। कोर्ट ने कहा कि विपरीत धर्मों के बालिग जोड़े को शादी करने के लिए परिवार, समाज या किसी की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार है। अगर दो बालिग विवाह के लिए सहमत हैं, तो ऐसी शादी वैध होगी। अधिकारी विवाह पंजीकरण करने से इनकार नहीं कर सकते और धर्म परिवर्तन की सरकारी अनुमति के लिए बाध्य नहीं कर सकते।
इन मामलों से जुड़ा फैसला कोर्ट ने यह फैसला धर्म बदलकर शादी करने के मामलों में सुनाया है। पहला मामला है वैष्णवी का। वह हिंदू है मगर उसने इस्लाम धर्म स्वीकार करते हुए महाराष्ट्र में मुस्लिम से शादी कर ली। उसके बाद बिजनौर में पंजीकरण की अर्जी दी। दूसरा मामला है जीनत अमान का। वह मुस्लिम है और उसने हिंदू धर्म अपनाया है। आर्य समाज मंदिर बिजनौर में हिंदू लड़के से शादी की। जिलाधिकारी की अनुमति न लेने के कारण उसकी शादी का पंजीकरण से इनकार कर दिया गया। इसी तरह मनाल खान ने धर्म बदलकर आर्य समाज मंदिर कानपुर में हिंदू से शादी कर ली। गुलाफसा नामक व्यक्ति ने भी धर्म बदला और राधाकृष्ण मंदिर अमरोहा मे हिंदू लड़के से शादी की। पंजीकरण अर्जी दी। एकता माधवानी ने धर्म बदला और मुस्लिम लड़के से शादी की।