खुल्दाबाद थाने में दर्ज हुआ क्राइम नंबर 431/79 फिरोज अहमद उर्फ पहलवान तांगे वाले का बेटा अतीक शुरू से पढ़ाई लिखाई में फिसड्डी था। हाईस्कूल में फेल हुआ तो पढ़ाई छोड़ दी। फिर क्या कम उम्र में ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में अतीक ने इलाके में रंगदारी वसूलना शुरू कर दिया। इसके बाद अतीक जरायम की नर्सरी में पलने और बढ़ने लगा। इसी दौरान प्रयागराज तब इलाहबाद के खुल्दाबाद थानाक्षेत्र में हुई मोहम्मद गुलाम की हत्या हो गयी। साल 1979 में हुई इस हत्या में अतीक का नाम आया और उसके नाम पहला केस धारा 302 के तहत खुल्दाबाद थाने में क्राइम नंबर 431/79 दर्ज हुआ।
माफिया चांद बाबा और कपिल मुनि करवरिया को छोड़ा पीछे 1979 के हत्याकांड के बाद अतीक ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अतीक गुनाहों की सल्तनत में कमर तक डूब चुका था। उसके आतंक से माफिया चांद बाबा और कपिल मुनि करवरिया भी कहीं खो गए थे। इन दोनों के पहले अतीक का आतंक आता था। नाम बढ़ते ही अतीक पूरे प्रदेश में जमीन कब्जा करना, हत्या, लूट, डकैती और फिरौती की घटनाओं को अंजाम देने लगा।
चांद बाबा की हत्या कर पुलिस के लिए बना नासूर अतीक की आपराधिक गतिविधि पर लगाम लगाने के लिए यूपी सरकार ने 1985 में गुंडा और 1986 में गैंगस्टर की कार्रवाई की ऐसे में माफिया अतीक अहमद ने अपने जरायम को सपोर्ट देने के राजनीति का सहारा लेने की सोची और 1989 में इलाहबाद पश्चिम सीट से विधायकी का पर्चा भर दिया। यहाँ उसके सामने प्रतिद्वंदी के रूप में माफिया चांद बाबा था। चांद बाबा भी अतीक से नफरत करता था। कहा जाता है कि चांद बाबा के कई शूटर अतीक के गैंग में शामिल हो गए थे। मतदान खत्म हुआ और काउंटिंग का दिन आ गया। उसी दिन एक चाय की टपरी पर प्रयागराज के इतिहास की सबसे बड़ी गैंगवार हुई और चांद बाबा ढेर हो गया। पुलिस कुछ करती चुनाव परिणाम आ गए और अतीक विधायक बन गया।
कल्याण सिंह के वक्त में खुली हिस्ट्रीशीट, दर्ज हुआ गैंग का नाम अतीक के विधायक बनते ही उसके पीड़ितों की संख्या भी दिन-ब-दिन बढ़ने लगी। ऐसे में सरकार ने अतीक पर कड़ी निगरानी के लिए 17 फरवरी 1992 को माफिया अतीक की हिस्ट्रीशीट खोल दी। अतीक की हिस्ट्रीशीट नंबर-39 ए है। इसी सन में उसके इंटर स्टेट गैंग IS-277 को रजिस्टर्ड किया गया। इस गैंग में इस समय 140 लोग चिह्नित किए गए थे।
पहले परिवार से सिर्फ भाई, अब ये भी हुए गैंग में शामिल माफिया अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ और बेटा असद मारे जा चुके हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस के द्वारा चिह्नित इस IS-277 गैंग में सिर्फ उसका भाई उसके साथ था बाकी बाहर के लोग थे लेकिन उमेश पाल की हत्या के बाद इस गैंग में उसकी पत्नी शाइस्ता, बेटे असद, उमर और अली का भी नाम शामिल हो गया। अतीक अहमद, खालिद अजीम उर्फ अशरफ और असद की मौत हो चुकी है। इसके अलावा कई अन्य गनर भी मौत के घाट उतारे जा चुके हैं।
मौत से पहले रिमांड पर अतीक ने उगले थे अहम राज मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अतीक अहमद ने रिमांड पर कई अहम राज उगले थे जिसमें उसका पाकिस्तान कनेक्शन भी सामने आया था। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पुलिस पूछताछ में अतीक ने यह बात क़ुबूल ली थी कि उसके गैंग की मदद के लिए पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए पंजाब में हथियार गिराए जाते थे। खुद अतीक ने कथित तौर पर पुलिस के सामने स्वीकारा किया है कि ‘आईएसआई ड्रोन से पंजाब में हथियार भेजा करता है और उससे जुड़े लोग उन हथियारों को उठाकर कुछ हिस्सा लश्कर के आतंकियों, कुछ खालिस्तानियों जबकि .45 बोर पिस्टल, एके-47 और आरडीएक्स जैसे कुछ हथियार मुझे पहुंचा देते हैं। मैं हथियारों का पेमेंट करता हूं। लश्कर और खालिस्तानी आतंकियों से जुड़े लोग मुझसे मिलने भी आया करते हैं। उनकी आपस में बातचीत से लगता है कि वो देश में कुछ बड़ा करने की प्लानिंग करते रहते हैं।’
क्या सच में थे पाकिस्तान से संबंध इस सम्बन्ध में पुलिस से जानकारी लेनी चाही गयी तो उन्होंने साफ़ मना करते हुए इस जांच का अहम हिस्सा बताया और मना कर दिया। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अतीक ने यह भी कहा था कि उसे आईएसआई के ठिकानों का पता है पर हमें वहां लेकर चलना होगा वरना हम कुछ नहीं बता पाएंगे।
जिगाना से मिटा प्रयागराज का माफिया माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की शाहगंज थानाक्षेत्र के कॉल्विन अस्पताल के बाहर गोली मरकर 15 जुलाई को मौत के नींद सुला दिया गया। मौके से पकड़े गए हत्यारोपियों के पास से तुर्किए मेड जिगाना पिस्टल बरामद की गयी थी. यह भी पाकिस्तान के रास्ते ही भारत में आती है और सस्ते दाम में बेचीं जाती है।