पहले आई थी 900 आपत्तियां गौरतलब है कि 1995 से लेकर 2015 तक हुए चुनावों को आधार बनाकर आरक्षण किया गया तो था करीब 900 आपत्तियां आई थी। लेकिन उन आपत्तियों के निस्तारण करने तक हाईकोर्ट का फैसला आ गया कि 2015 के चुनाव को आधार मानते हुए आरक्षण किया जाए। उसके बाद पूरा आरक्षण ही बदल गया। कोर्ट के इस फैसले के बाद कुछ के चेहरे पर मायूसी छा गई तो कुछ के चेहरे खिल उठे। इस बदलाव के बाद जिन्हें मनमुताबिक सीट नहीं मिली है, उन लोगों ने अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं। आपत्तियों का सिलसिला 21 से 23 मार्च तक चला। डीपीआरओ रेनू श्रीवास्तव के अनुसार, देर रात तक आपत्तियों को कंपाइल करने का क्रम चला है। करीब 1700 आपत्तियां तो केवल जिले में आई है। किस पद के लिए कितनी आपत्तियां आई, इसे अलग-अलग किया जा रहा है।