लिव इन रिलेशनशिप नहीं याचिकाकर्ता आशा देवी की शादी महेश चंद्र के साथ हुई है। दोनों का तलाक नहीं हुआ है लेकिन दोनों काफी समय से अलग रह रहे हैं। आशा देवी दूसरे पुरुष (अरविंद) के साथ लिव इन रिलेशनशिप में पति पत्नी की तरह रहती है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में अपने परिवार से सुरक्षा की गुहार लगाई, जिसपर कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह लिव इन रिलेशनशिप नहीं है, बल्कि दुराचार का अपराध है, जिसके लिए पुरुष अपराधी है।
विवाहिता महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप मे रहना गलत कोर्ट ने कहा कि परमादेश विधिक अधिकारों को लागू करने या संरक्षण देने के लिए जारी किया जा सकता है, किसी अपराधी को संरक्षण देने के लिए नहीं। अगर अपराधी को सुरक्षा देने का आदेश दिया गया है तो यह अपराध को संरक्षण देना होगा। कानून के खिलाफ कोर्ट अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि जो पुरुष किसी विवाहित महिला के साथ लिव इन रिलेशन में रह रहा है, वह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा-494 (पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना) और 495 (पहले से की गई शादी को छिपाकर दूसरी शादी करना) के तहत दोषी होगा। इसी प्रकार से धर्म परिवर्तन करके शादीशुदा के साथ रहना भी अपराध है।