प्रयागराज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलवामा हमले को लेकर लिया महत्वपूर्ण फैसला, जानिए वजह

इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के स्थाई अधिवक्ता ने बहस की। बहस के दौरान कहा गया कि इससे पूर्व हाईकोर्ट ने राम कैलाश निषाद के मामले में दो नवंबर 2021 को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया था कि 18 फरवरी 2022 तक ऐसे सभी लंबित प्रार्थना पत्रों का निस्तारण करें, जिनमें राज्य प्राधिकारियों द्वारा अधिग्रहण बगैर ली गई भूमि के मुआवजे का मामला लंबित है।

प्रयागराजMar 28, 2022 / 01:03 pm

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलवामा हमले को लेकर लिया महत्वपूर्ण फैसला, जानिए वजह

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलवामा हमले को लेकर महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए राज्य सरकार को निर्देश किया है। मामले में सुनवाई करते हुए अधिग्रहण के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि बिना अधिग्रहण की प्रक्रिया अपनाए सरकार द्वारा ली गई भूमि का मुआवजा देने का मामले पर निर्णय जिला स्तरीय कमेटी लेगी। इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक जिले में कमेठी गठित की जाए और जो किसानों की किसानों की ऐसी जमीन के मुआवजे का मामला तय करेगी जिन्हें राज्य सरकार ने बिना अधिग्रहण प्रक्रिया के प्रयोग में ले लिया है। मामले में यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने दिया।
मुआवजे का मामला लंबित

इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के स्थाई अधिवक्ता ने बहस की। बहस के दौरान कहा गया कि इससे पूर्व हाईकोर्ट ने राम कैलाश निषाद के मामले में दो नवंबर 2021 को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया था कि 18 फरवरी 2022 तक ऐसे सभी लंबित प्रार्थना पत्रों का निस्तारण करें, जिनमें राज्य प्राधिकारियों द्वारा अधिग्रहण बगैर ली गई भूमि के मुआवजे का मामला लंबित है।
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पुलवामा हमले के शहीद 12 किसानों की याचिका पर सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलवामा हमले के शहीद के गांव के पवन कुमार मिश्र सहित 12 किसानों की याचिका दाखिल कर मुआवजा दिए जाने की मांग की थी। उनके अधिवक्ता नितेश कुमार श्रीवास्तव का कहना था कि शहीद जवान विजय मौर्य के गांव हथिया जगदेव देवरिया में सड़क चौड़ी करने के लिए लोक निर्माण विभाग ने किसानों की भूमि ले ली। इससे किसानों की लगभग तीन मीटर जमीन प्रभावित हो रही है। इस पर सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा है लेकिन जमीन लेने के लिए न अधिग्रहण की कोई प्रक्रिया अपनाई गई और न ही किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है। हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से गठित कमेटी के समक्ष प्रार्थना पत्र देने और कमेटी से नियमानुसार निश्चित समय सीमा के भीतर प्रार्थना पत्र का निस्तारित करने को कहा है।

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