यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सोसायटी फार वायस आफ ह्यूमन राइट्स एण्ड जस्टिस व इसके अध्यक्ष राज कुमार कौशिक की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता आर एन यादव व अभिषेक कुमार यादव ने बहस की। इनका कहना है कि लोनी व सदर तहसील के उप निबंधकों व तहसील बार एसोसिएशन के अध्यक्ष की मिलीभगत से सरकार को मिलने वाले शुल्क का भारी नुक़सान हो रहा है।अधिकारी व स्टाफ अनुचित लाभ लेकर जनरल पावर आफ अटार्नी पंजीकृत कर जमीन का स्थानान्तरण करा रहे हैं।
12लाख 85हजार की जमीन मात्र 90हजार के स्टैंप पर 20100रूपये का शुल्क लेकर हस्तांतरण किया गया है।इसी प्रकार अधिकारी पैसे लेकर सरकारी खजाने को नुक्सान पहुंचा रहे हैं। याची का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि जनरल पावर आफ अटार्नी से जमीन पर किसी को कोई अधिकार नहीं मिलेगा। सहायक आई जी रजिस्ट्रेशन गाजियाबाद ने सभी उप निबंधकों को जनरल पावर आफ अटार्नी से जमीन हस्तांतरण न करने का निर्देश दिया है।जिसका पालन नहीं किया जा रहा है। याचिका में छः उप निबंधकों भोला नाथ वर्मा, रवीन्द्र मेहता,नवीनशर्मा, सुरेश चंद्र मौर्य, हनुमान प्रसाद,व नवीन राय को पक्षकार बनाया गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से जानकारी मांगी है और जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।