वहीं, शव की पहचान विवादित है। एक परिवार ने दावा किया है कि उक्त मृत व्यक्ति का शव उनकी लापता बेटी-रीता का है। अखबार के मुताबिक डीएनए रिपोर्ट कोई निर्णायक राय नहीं देती है।’ इसे गंभीरता से लेते हुए, अदालत ने उत्तरदाताओं- राज्य अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को निम्नलिखित मुद्दों पर राज्य के रुख का खुलासा करते हुए विस्तृत निर्देश प्राप्त करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने तीन विषयों पर मांगी जानकारीसबसे पहले, वह समयावधि जिसमें किसी मुर्दाघर में किसी शव का अंतिम संस्कार प्रथा के अनुसार किया जाता है। इस मामले में देरी का कारण और दूसरा, क्या कोई कानून था, जिसके तहत राज्य अधिकारियों को किसी शव का अंतिम संस्कार करना होता है। तीसरा, अदालत ने जांच का विवरण मांगा और मुर्दाघर में शव के संरक्षण से लेकर आज तक की घटनाओं की समय-सीमा निर्देशों में बताई जाएगी।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि केस डायरी और जांच की स्थिति का भी खुलासा किया जाएगा। कोर्ट ने कहा, “इसमें वह तारीख शामिल होगी, जिस दिन नमूने निकाले गए थे। डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए हैदराबाद स्थित फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में भेजे गए थे और डीएनए रिपोर्ट की तारीख भी शामिल होगी।”
अदालत ने 26 अक्टूबर के अपने आदेश में उच्च न्यायालय के वकील नितिन शर्मा को अदालत की सहायता के लिए न्याय मित्र नियुक्त किया। अदालत ने मामले की सुनवाई 31 अक्टूबर, 2023 को करने का निर्देश दिया है।