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इसके अलावा, कानून में यह स्थापित है कि सार्वजनिक अधिकारी के साक्ष्य को केवल इस आधार पर रद्द नहीं किया सकता है कि वह एक पुलिस अधिकारी है। मौजूदा मामले में पुलिस ने पेट्रोलिंग के दरमियान एक डंपिंग ट्रक से 1025 किग्रा गांजा बरामद किया था। ट्रक को सह आरोपी विनोद सिंह चला रहा था और आवेदक ट्रक पर बैठा था। तदनुसार, आवेदक और सह-अभियुक्तों पर एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/20/29 के तहत मामला दर्ज किया गया। यह भी पढ़ें
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मामले में आवेदन ने सीआरपीसी की धारा 439 के तहत जमानत की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया। आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि आवेदक वाहन में एक यात्री रूप में सवार था और उसे बरामद प्रतिबंधित सामग्री के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और न ही उसके पास से कोई प्रतिबंधित पदार्थ बरामद किया गया था। मामले आरोपी की तरफ से दलील पेश करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि धारा 42,50,52, 53, 57 के नियमों का पालन नहीं किया गया था और इसलिए आवेदक को जमानत दिया जाना चाहिए। राज्य के वकील ने प्रस्तुत किया कि आवेदक अंतर-राज्यीय तस्करी में शामिल था, जिसे एनडीपीएस एक्ट की धारा 67 के तहत आवेदक द्वारा दिए गए एक बयान में स्वैच्छिक रूप से स्वीकार किया गया था। वकील ने यह भी कहा कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 50 का अनुपालन किया गया था क्योंकि एक राजपत्रित अधिकारी की उपस्थिति में आरोपियों की तलाशी ली गई थी।