मामले में कहा गया था कि सभी सहायक अध्यापकों की नियुक्तियां 1 अप्रैल 2005 के बाद की गई है। इस कारण वो पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ पाने के हकदार नहीं हैं। जिसे चुनौती दी गई थी, और याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची के साथ चयनित अध्यापकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है, जबकि याचीगण को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।
यह था मामला
29 नवंबर 2004 को साक्षात्कार हुआ था, और 24 दिसंबर 2004 को परिणाम घोषित किया गया था। घोषित परिणामों के आधार पर अधिकंश अध्यापकों को नियुक्तिपत्र देकर ज्वाइन भी करा दिया गया था। जबकि याचीगण को कालेज मैनेजमेंट ने ज्वाइन नहीं कराया था। बाद में बोर्ड के हस्तक्षेप के बाद दूसरे कालेज में ज्वाइन कराया गया था। याची की नियुक्ति और ज्वानिंग नई पेंशन स्कीम लागू होने के बाद हुई। जिस कारण से पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने से मना कर दिया गया था। फिलहाल कोर्ट ने इसे गलत माना और पुरानी पेंशन येाजना का लाभ देने का आदेश दिया।
29 नवंबर 2004 को साक्षात्कार हुआ था, और 24 दिसंबर 2004 को परिणाम घोषित किया गया था। घोषित परिणामों के आधार पर अधिकंश अध्यापकों को नियुक्तिपत्र देकर ज्वाइन भी करा दिया गया था। जबकि याचीगण को कालेज मैनेजमेंट ने ज्वाइन नहीं कराया था। बाद में बोर्ड के हस्तक्षेप के बाद दूसरे कालेज में ज्वाइन कराया गया था। याची की नियुक्ति और ज्वानिंग नई पेंशन स्कीम लागू होने के बाद हुई। जिस कारण से पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने से मना कर दिया गया था। फिलहाल कोर्ट ने इसे गलत माना और पुरानी पेंशन येाजना का लाभ देने का आदेश दिया।