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इलाहाबाद हाईकोर्ट पुलिस हिरासत मौत के मामले में सख्त, अपर मुख्य सचिव गृह से क्यों मांगा व्यक्तिगत हलफनामा

न्यायिक जांच में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने हिरासत में मौत के लिए पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदार‌ ठहराया गया है। कहा है कि पुलिस ने मृतक का पोस्टमार्टम नहीं कराया और लाश घर वालो‌ं को न सौंप पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पुलिस हिरासत में मौत गंभीर मामला है। न्यायिक जांच में पुलिस की खुदकुशी की कहानी गलत साबित हुई है।ऐसे में बड़े अधिकारियों को संवेदनशीलता दिखाते हुए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और पीड़ित पक्ष को मुआवजा देने पर विचार करना चाहिए।

प्रयागराजMar 25, 2022 / 10:55 pm

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट पुलिस हिरासत मौत के मामले में सख्त, अपर मुख्य सचिव गृह से क्यों मांगा व्यक्तिगत हलफनामा

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुलंदशहर के खुर्जा नगर कोतवाली पुलिस हिरासत में मौत पर अपर मुख्य सचिव गृह को कृत कार्यवाही रिपोर्ट के साथ 19 अप्रैल तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है और जानकारी मांगी है कि हिरासत में मौत के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई है। न्यायिक जांच में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने हिरासत में मौत के लिए पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदार‌ ठहराया गया है। कहा है कि पुलिस ने मृतक का पोस्टमार्टम नहीं कराया और लाश घर वालो‌ं को न सौंप पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया।
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कोर्ट ने कहा कि पुलिस हिरासत में मौत गंभीर मामला है। न्यायिक जांच में पुलिस की खुदकुशी की कहानी गलत साबित हुई है।ऐसे में बड़े अधिकारियों को संवेदनशीलता दिखाते हुए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और पीड़ित पक्ष को मुआवजा देने पर विचार करना चाहिए।
कोर्ट ने आदेश की प्रति प्रदेश के मुख्य सचिव को भेजने का भी निर्देश दिया है।और याची को जांच रिपोर्ट देने को कहा है। याचिका की सुनवाई 19 अप्रैल को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने सुरेश‌ देवी व अन्य की याचिका पर दिया है।
याचिका पर अधिवक्ता आशुतोष कुमार तिवारी व‌ धर्मेंद्र सिंह ने बहस की। मालूम हो कि याची के बेटे सोमदत्त उर्फ सोनू को पुलिस पकड़ कर थाने ले गई। उसने आपसी सहमति से अंतर्जातीय विवाह किया था।11/12दिसंबर 20की रात पुलिस ने सोनू की जमकर पिटाई की। जिससे उसकी थाने में ही मौत हो गई। याची ने पुलिस पर हिरासत में हत्या करने का आरोप लगाया। पुलिस इसे खुदकुशी बता रही हैं। मामले की न्यायिक जांच की गई। जिसमें हिरासत में मौत के आरोप की पुष्टि की गई है और मौत के लिए पुलिस को जवाबदेह ठहराया गया है।
अपर शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि जांच रिपोर्ट 18जनवरी 22को अपर मुख्य सचिव गृह को जिलाधिकारी द्वारा भेजी जा चुकी है। उसके बाद क्या हुआ इसकी जानकारी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हिरासत में मौत गंभीर मामला है वह भी तब, जब न्यायिक जांच में आरोपों को सही पाया गया हो। जिसमें साफ कहा है कि मौत के लिए पुलिस जिम्मेदार है।ऐसे में पुलिस विभाग के बड़े अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। पुलिस ने बिना पोस्टमार्टम कराये अंतिम संस्कार कर दिया।दोषी पुलिस अधिकारियों पर एफ आई आर दर्ज कराई जाय और पीड़िता को मुआवजा देने पर विचार किया जाना चाहिए।

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