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इलाहाबाद हाईकोर्ट: राज्य विधि अधिकारियों को प्राधिकरण, निगम या सरकारी संस्थाओं से फीस लेने का नहीं है अधिकार

कोर्ट के निर्देश पर हाजिर मधुसूदन हुलगी उपाध्यक्ष मुरादाबाद विकास प्राधिकरण को याची के बकाया वेतन भुगतान सहित 103स्मृति पद की सरकारी मंजूरी पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।और अगली तिथि पर हाजिरी माफ कर दी है। याचिका की सुनवाई अगस्त 22के प्रथम सप्ताह में होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने राजीव कुमार की अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

प्रयागराजJun 01, 2022 / 04:38 pm

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट: राज्य विधि अधिकारियों को प्राधिकरण, निगम या सरकारी संस्थाओं से फीस लेने का नहीं है अधिकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट: राज्य विधि अधिकारियों को प्राधिकरण, निगम या सरकारी संस्थाओं से फीस लेने का नहीं है अधिकार

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि कोई भी राज्य विधि अधिकारी दोहरा लाभ नहीं ले सकता। वह सरकारी अधिवक्ता रहते प्राधिकरणों, निगमों या अन्य सरकारी संस्थाओं से फीस पाने का हकदार नहीं हैं।इसी के साथ कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता के रूप में सरकारी मशीनरी मुरादाबाद विकास प्राधिकरण से फीस पाने के हकदार नहीं हैं।
कोर्ट के निर्देश पर हाजिर मधुसूदन हुलगी उपाध्यक्ष मुरादाबाद विकास प्राधिकरण को याची के बकाया वेतन भुगतान सहित 103स्मृति पद की सरकारी मंजूरी पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।और अगली तिथि पर हाजिरी माफ कर दी है। याचिका की सुनवाई अगस्त 22के प्रथम सप्ताह में होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने राजीव कुमार की अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट ने याची की सेवा नियमित करने का निर्देश दिया था ।जिसका पालन नहीं किया गया तो यह याचिका दायर की गई। कोर्ट ने एम डी ए के उपाध्यक्ष को तलब किया। उन्होंने ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि प्राधिकरण ने याची को नियमित करने को स्वीकार नहीं किया गया है और 2019मे ही 103कर्मचारियों के लिए स्मृति पद सृजित करने का राज्य सरकार से अनुरोध किया गया है। याची का नाम भी भेजा गया है,जिसका इंतजार किया जा रहा है। 29अप्रैल 22से याची की सेवा बहाली कर ली गई है और नियमित वेतन भुगतान किया जा रहा है।
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कोर्ट ने कहा 2016नियमावली के तहत याची की सेवा नियमित करने का आदेश दिया गया है जिसका पालन नहीं किया गया है।जब कि सुप्रीम कोर्ट से आदेश की पुष्टि हो चुकी है। कोर्ट ने कहा कि स्मृति पद सृजित करने पर 2019से सरकार विचार कर रही है। इसलिए उपाध्यक्ष को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया है।

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