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भारतीय पत्नियां अपने पति के प्रति संवेदनशील, अपने पति को साझा करना स्वीकार्य नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट

Allahabad High Court भारतीय महिलाओं का पक्ष लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहाकि, भारतीय पत्नियां अपने पति के प्रतिसंवेदनशील हैं। भारतीय महिलाओं को अपने पति को साझा करना स्वीकार्य नहीं है। किसी भी विवाहित महिला के लिए यह सबसे बड़ा झटका होगा कि उसका पति किसी अन्य महिला से साझा किया जा रहा है।

प्रयागराजMay 03, 2022 / 11:40 am

Sanjay Kumar Srivastava

भारतीय पत्नियां अपने पति के प्रति संवेदनशील, अपने पति को साझा करना स्वीकार्य नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट

भारतीय महिलाओं का पक्ष लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहाकि, भारतीय पत्नियां अपने पति के प्रतिसंवेदनशील हैं। भारतीय महिलाओं को अपने पति को साझा करना स्वीकार्य नहीं है। किसी भी विवाहित महिला के लिए यह सबसे बड़ा झटका होगा कि उसका पति किसी अन्य महिला से साझा किया जा रहा है। या वह किसी अन्य महिला से शादी करने जा रहा है। यह अपने आप में आत्महत्या करने के लिए पर्याप्त कारण से अधिक है। न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की पीठ ने मामले में निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए याची (पति) सुशील कुमार व छह अन्य की याचिका को खारिज कर दिया।
अपराधी प्रतीत होता है पति

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहाकि, पति सुशील कुमार कम से कम आईपीसी की धारा 306 के तहत अपराधी प्रतीत होता है। मामले में पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी। पति सहित उसके परिजनों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था। मामले में वाराणसी जिले के मडुआडीह थाने में आईपीसी की विभिन्न धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।
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भारतीय पत्नियां बेहद प्रतिसंवेदनशील

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहाकि, भारतीय पत्नियां अपने पति के प्रतिसंवेदनशील हैं। किसी भी विवाहित महिला के लिए यह सबसे बड़ा झटका होगा कि उसका पति किसी अन्य महिला द्वारा साझा किया जा रहा है या वह किसी अन्य महिला से शादी करने जा रहा है। यह अपने आप में आत्महत्या करने के लिए पर्याप्त कारण से अधिक है।
पत्नी ने पति पर लगाए आरोप

पत्नी का आरोप था कि, पति पहले से ही शादीशुदा था। और उसके दो बच्चे हैं। उसे तलाक दिए बिना उसने तीसरी शादी कर ली। इसके बाद उसके साथ दुर्व्यवहार और प्रताड़ित किया जाने लगा। पत्नी ने जहर खा लिया।
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आरोपी पर मुकदमा चलाया जाएं

मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने पति की याचिका खारिज कर दी तो उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने कहा कि, पति ने 2018 में तीसरी बार शादी कर ली। यह पत्नी की आत्महत्या का मुख्य कारण समझ में आया। हाईकोर्ट ने कहा कि, आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने के लिए पर्याप्त सामग्री है।

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