इसके साथ ही मामले में कोर्ट ने मेडिकल परीक्षण की रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में पेश करने को कहा है। मामले में मेरठ के सत्र न्यायाधीश प्रथम को समन्वयक के तौर पर कार्य करने को कहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने एसपी बागपत को भी सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने को कहा है। मामले में यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति चंद्र कुमार राय ने नाबालिग लड़की के पिता की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
यह है मामला मामले में नाबालिग लड़की ने अपने ही एक रिश्तेदार के संपर्क में रही और संबंध बनाने से गर्भवती हो गई। इसके साथ ही लड़की ने उस रिश्तेदार से शादी भी कर ली है। सोनोग्राफी रिपोर्ट के मुताबिक उसे 16 सप्ताह और पांच दिन का गर्भ है। इसकी जानकारी होने पर नाबालिग लड़की के पिता ने रिश्तेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। पुलिस ने जांच के दौरान रिश्तेदार पर दुष्कर्म का केस दर्ज किया। इसके साथ ही नाबालिग होने के साथ ही याची के जीवन के साथ साथ उसके शारिरिक और मानसिक स्वास्थ्य को खतरा है। इसीलिए याची ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 की धारा तीन के तहत गर्भ समाप्त करने की अनुमति मांगी है।