प्रयागराज

इलाहाबाद हाइ्रकोर्ट की सख्त टिप्पणी, 70 सालों से जनता को गुमराह कर रही है ब्यूरोक्रेसी

यूपी जनहित गारंटी अधिनियम 2011 लागू करने में अधिकारियों की हीलाहवाली व उलझाने वाली प्रक्रिया पर हाईकोर्ट हुआ नाराज।

प्रयागराजDec 14, 2017 / 07:12 pm

रफतउद्दीन फरीद

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद. हाईकोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश जनहित गारंटी अधिनियम 2011 लागू करने में अधिकारियों की हीलाहवाली व उलझाने वाली प्रक्रिया अपनाने पर गहरी नाराजगी प्रकट की है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की और कहा कि 70 सालों से ब्यूरोक्रेसी जनता को गुमराह कर रही है। भ्रष्टाचार पर नियंत्रण वाले कानूनों को इतना उलझा दिया जाता है ताकि भ्रष्ट अधिकारियों की जवाबदेही तय न हो सके। 19 वर्षों से संघर्ष कर रही दुलारी देवी की याचिका की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति एस.पी. केशरवानी ने कहा कि यदि आय प्रमाण पत्र लेना हो तो अर्जी दो दिन में तय करने का नियम है। यदि अर्जी तय नहीं होती तो वह स्वयं निरस्त समझी जायेगी। इसके खिलाफ प्रथम अपील होगी। इससे संतुष्ट न होने पर द्वितीय अपील होगी। इसके बाद लापरवाह अधिकारी पर पेनाल्टी लगायी जा सकेगी। इसके लिए सभी विभागों में अपीलीय अधिकरण गठित होना है किन्तु 6 साल बीत जाने के बाद भी अधिकरण गठित नहीं किया गया। साथ ही अधिकारी की जवाबदेही तय करने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई में उलझाने के नियम बनाए जा रहे हैं।
 

कोर्ट ने कहा लोग कानूनी प्रक्रिया में उलझने के बजाय सुविधा शुल्क देना मजबूरी समझेंगे। ऐसे में सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश कैसे लगाएगी, समझ से परे है। कोर्ट ने कहा कि आर.टी. आई. एक्ट के स्पष्ट नियम के कारण ही वह प्रभावी साबित हो रही है। इस अधिनियम को लागू करने के नियम स्पष्ट व निश्चित होने चाहिए। ताकि भ्रष्ट व लापरवाह अधिकारियों पर कार्यवाई हो सके। सरकार की तरफ से कोर्ट से समय मांगा गया। सुनवाई आज 15 दिसम्बर को भी होगी।
 

गलत हलफनामा दाखिल करने वाले अधिकारियों पर कार्यवाई का निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा वृंदावन नगर आयुक्त से पूछा है कि नगर सीमा में कितने आवासीय व अनावासीय भवन हैं जिनमें पानी के नल का कनेक्शन है और वे गन्दा पानी उत्सर्जित कर रहे हैं। कोर्ट ने नगर आयुक्त से ब्योरे के साथ हलफनामा मांगा है। अगली सुनवाई 19 दिसम्बर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टण्डन व न्यायमूर्ति राजीव जोशी की खण्डपीठ ने मधुमंगल शुक्ल की जनहित याचिका पर दिया है।
 

याचिका यमुना नदी में प्रदूषण पर रोक लगाने की मांग में दाखिल की गयी है। नगर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता आधे पानी के शोधन की नहीं है और अधिकारियाेें ने कोर्ट को बताया कि यमुना प्रदूषण मुक्त हो गयी हैं। कोर्ट ने अपर जिला जज से प्रदूषण पर रिपोर्ट मांगी तो कोर्ट को गुमराह करने का खुलासा हुआ। कोर्ट ने मुख्य सचिव को गलत हलफनामा दाखिल करने वाले अधिकारियों पर कार्यवाई का निर्देश दिया। कार्यवाही चल रही है। इसी बीच कोर्ट ने नालों को यमुना में गिरने से रोकने और उन्हें डायवर्ट करने का आदेश दिया है। इसी क्रम में नगर के भवनों की जानकारी तलब की गयी है।
by Prasoon Pandey

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