इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि सामाजिक हित को ध्यान में रखते हुए, ट्रायल कोर्ट के लिए उपयुक्त मामलों में धारा 344 सीआरपीसी का सहारा लेने का समय आ गया है। वर्तमान मामले में चूंकि ट्रायल कोर्ट के समक्ष पीड़िता मुकर गई है और अभियोजन पक्ष को पूरी तरह से नकार दिया है, इसलिए वह सरकार द्वारा भुगतान किए गए किसी भी मुआवजे के लाभ की हकदार नहीं है। मामले में जमानत याचिकाकर्ता हरिओम शर्मा पर पीड़िता के साथ बलात्कार करने का आरोप लगा था और उसे 12 दिसंबर, 2020 को गिरफ्तार किया गया था। पीड़िता के सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान को देखते हुए उसकी पहली जमानत अर्जी 13 अगस्त 2021 को खारिज कर दी गई थी।
यह भी पढ़ें