इसके साथ ही कार्यवाहक प्रधानाचार्य बनने के बाद उनके कॉलेज में देरी से आने पर अनुशासनात्मक समिति द्वारा एक इंक्रीमेंट रोकने के आदेश को सही माना और समिति के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। मामले में सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कॉलेज की प्रबंध समिति की सचिव माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, प्रयागराज के 18 दिसंबर 21 के आदेश को चुनौती याचिका पर दिया है। मामले में विपक्षी 2005 में प्रवक्ता नियुक्त किया गया था। 12 मई 21 को वह कार्यवाहक प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया। अध्यापक के तौर पर उनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं थी। कार्यवाहक प्रधानाचार्य बनने पर प्रबंध समिति से विवाद हुआ।
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