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इलाहाबाद हाईकोर्ट: मृतक आश्रित कोटे के तहत दी जा सकती है नियमित नियुक्ति, दो महीने में हो निर्णय

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को याची के मामले में सुनवाई करते हुए दो माह में विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। मामले में याची की तरफ से जानकारी दी गई कि उनके पिता प्राइमरी विद्यालय में सहायक अध्यापक थे। कार्यकाल के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद याची ने अनुकंपा के तहत नियुक्ति की मांग की। उसे चतुर्थ श्रेणी पद पर निश्चित वेतनमान के तहत नियुक्ति दी गई। बाद में याची ने नियमित नियुक्ति की मांग की। बेसिक शिक्षा अधिकारी झांसी ने याची का प्रत्यावेदन खारिज कर दिया।

प्रयागराजSep 27, 2022 / 10:44 am

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट: मृतक आश्रित कोटे के तहत दी जा सकती है नियमित नियुक्ति, दो महीने में हो निर्णय

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृतक आश्रित से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए महत्तपूर्ण फैसला लिया है। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि मृतक आश्रित कोटे के तहत सिर्फ नियमित नियुक्ति ही दी जा सकती है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि मृतक आश्रित नियुक्ति के मामले में 30 जनवरी 1996 को जारी शासनादेश प्रभावी नहीं होगा। मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने झांसी के आसिफ खान की याचिका पर अधिवक्ता विभु राय को सुनकर कर दिया है।
दो माह में निर्णय लेने का दिया आदेश- कोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को याची के मामले में सुनवाई करते हुए दो माह में विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। मामले में याची की तरफ से जानकारी दी गई कि उनके पिता प्राइमरी विद्यालय में सहायक अध्यापक थे। कार्यकाल के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद याची ने अनुकंपा के तहत नियुक्ति की मांग की। उसे चतुर्थ श्रेणी पद पर निश्चित वेतनमान के तहत नियुक्ति दी गई। बाद में याची ने नियमित नियुक्ति की मांग की। बेसिक शिक्षा अधिकारी झांसी ने याची का प्रत्यावेदन खारिज कर दिया।
बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अपने आदेश में 30 जनवरी 1996 के शासनादेश का हवाला देते हुए कहा के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में कोई पद रिक्त नहीं होने के कारण याची को निश्चित मानदेय पर नियुक्ति दी गई है। इसके साथ ही नियमित वेतन स्थाई कर्मचारी के तौर पर समायोजित होने की तिथि से देय होगा।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि 31 जनवरी 1996 का शासनादेश इस न्यायालय द्वारा निर्णीत रवि करण सिंह केस में दी गई विधि व्यवस्था के विपरीत है। याची के मामले में 30 जनवरी का शासनादेश लागू नहीं होगा क्योंकि मृतक आश्रित कोटे के तहत वह नियमित नियुक्ति पाने का अधिकारी है। मृतक आश्रित कोटे में अस्थाई नियुक्ति की कोई व्यवस्था नहीं है। यह नियुक्ति स्थाई प्रकृति है।

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