प्रयागराज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार-हत्या के आरोपी की मौत की सजा रद्द करते हुए किया बरी, जाने क्यों

कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच सही नहीं थी। जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने आरोपी को बरी करते हुए कहा कि मौजूदा मामले में सीआरपीसी की धारा 53-ए की आवश्यकता के अनुसार डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए आरोपी से रक्त और अन्य जैविक सामग्री एकत्र नहीं की गई थी। जिसकी वजह से हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है।

प्रयागराजMar 18, 2022 / 12:04 pm

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार-हत्या के आरोपी की मौत की सजा रद्द करते हुए किया बरी, जाने क्यों

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। बुधवार को 75 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार व उसकी हत्या करने के आरोपी व्यक्ति को निचली अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा की पुष्टि करने के लिए भेजे गए संदर्भ को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच सही नहीं थी। जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने आरोपी को बरी करते हुए कहा कि मौजूदा मामले में सीआरपीसी की धारा 53-ए की आवश्यकता के अनुसार डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए आरोपी से रक्त और अन्य जैविक सामग्री एकत्र नहीं की गई थी। जिसकी वजह से हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अभियुक्त को संदेह का लाभ देते हुए अपील स्वीकार कर ली गई। निचली अदालत के आक्षेपित निर्णय एवं आदेश को रद्द कर किया गया। मृत्युदंड की पुष्टि के लिए भेजे गए संदर्भ का उत्तर नकारात्मक दिया गया और मृत्युदंड की पुष्टि करने के लिए की गई प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया गया।
यह भी पढ़ें

UP Board Exam 2022: यूपी बोर्ड परीक्षा में नकल कराने वालों पर होगी पैनी नजर, लगेगा NSA, जानें सरकार की तैयारी

हाईकोर्ट ने मुख्य रूप से जो पूरी घटना की चश्मदीद गवाह थी और मृतका के पोतेजो परिस्थिति के आधार पर चश्मदीद गवाह माना गया द्वारा दिए गए बयानों का विश्लेषण किया। गवाही के बारे में, कोर्ट ने कहा कि महिला ने कहा था कि जब वह अपने खेत में घास काट रही थी, उसने देखा कि आरोपी वहां आया और मृतका का हाथ पकड़कर उसे गन्ने के खेत में खींच कर अंदर ले गया। जब दूसरे गवाह ने मौके पर पहुंची तो उसने आरोपी को बलात्कार करते देखा और बलात्कार करने के बाद अपीलकर्ता ने पीड़िता की हत्या कर दी और यह सब देखकर वह डर गई और घर चली गई। इसके बाद उसने सारी घटना मृतका के पति को बता दी।
यह भी पढ़ें

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से कहा- प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोत्तरी पर करें पुनर्विचार

कोर्ट ने कहा कि ने यह खुलासा नहीं किया कि क्या मृतका ने शोर मचाया था और क्या उसने मृतका की चीखें सुनीं और क्या मृतका ने आरोपी का विरोध किया था। इन परिस्थितियों में, कोर्ट ने कहा कि वह कैसे मान सकती है कि आरोपी-अपीलकर्ता ने मृतका के साथ दुष्कर्म किया था। कोर्ट ने आगे कहा कि घटना के दिन से ऐसी कोई जानकारी मिलने से इनकार किया था, और द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर से भी यही पता चलता है।

Hindi News / Prayagraj / इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार-हत्या के आरोपी की मौत की सजा रद्द करते हुए किया बरी, जाने क्यों

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.