कोर्ट ने कहा कि यदि नोटिस पर डिजिटल हस्ताक्षर करते ही उसपर अधिकारी का नियंत्रण नहीं रह जाता,तो हस्ताक्षर करने की तिथि व समय वही माना जायेगा। किन्तु इसे जारी किया गया नहीं माना जायेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने दाऊजी आभूषण भंडार प्रा लि कंपनी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची कंपनी का कहना था कि वह नियमित रूप से आयकर रिटर्न दाखिल करता है।वर्ष 2013-14मे भी रिटर्न दाखिल किया।
यह भी पढ़ें
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार-हत्या के आरोपी की मौत की सजा रद्द करते हुए किया बरी, जाने क्यों
कानून के मुताबिक आयकर विभाग रिटर्न से संतुष्ट नहीं है तो मूल्यांकन वर्ष के भीतर नोटिस जारी कर सकता है। किन्तु अवधि बीत जाने के बाद नोटिस जारी नहीं की जायेगी। आयकर विभाग के अधिवक्ता का कहना था कि नोटिस पर वर्ष के आखिरी दिन 31मार्च को डिजिटल हस्ताक्षर किए जा चुके थे। इसलिए नोटिस समय के भीतर जारी मानी जाय। किन्तु कोर्ट ने इसपर सहमति नहीं दी और कहा नोटिस पर केवल हस्ताक्षर करना पर्याप्त नहीं है,उसे समय के भीतर जारी भी किया जाना चाहिए। यह भी पढ़ें