प्रयागराज

विश्व प्रसिद्ध बड़े हनुमान मंदिर मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला ,महंत ने कहा सुप्रीमकोर्ट में देंगे चुनौती

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लीज पर जताई है सहमति

प्रयागराजJan 12, 2020 / 12:14 pm

प्रसून पांडे

विश्व प्रसिद्ध बड़े हनुमान मंदिर मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला ,महंत ने कहा सुप्रीमकोर्ट में देंगे चुनौती

प्रयागराज | विश्व प्रसिद्ध बड़े हनुमान मंदिर के आस-पास अवैध अतिक्रमण को तीन माह में हटाए जाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को महंत नरेंद्र गिरि सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। महंत नरेंद्र गिरि ने कहा है कि मंदिर के आसपास सेना की भूमि पर कोई भी अवैध निर्माण नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि मंदिर के नाम पर 4335 वर्ग फिट भूमि दर्ज है इसके अतिरिक्त जो भी निर्माण कार्य किए गए हैं वह निर्माण कार्य माघ मेले और कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ही कराए गए हैं।

उन्होंने कहा कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग और सीट के रूप में कुछ कार्य जरूर कराया गया है। महंत नरेंद्र गिरी के मुताबिक मंदिर की जमीन को छोड़कर सेना की भूमि पर कुछ भी स्थाई निर्माण नहीं हुआ है।महंत नरेंद्र गिरि के मुताबिक बांध पर कई पुराने मंदिर जरूर है जो कि सेना की भूमि पर बने हैं लेकिन यह मंदिर काफी पुराने हैं उन्होंने कहा है कि इस मामले में हाई कोर्ट का फैसला जरूर हमारे खिलाफ आया है। लेकिन इस मामले को लेकर हाल ही में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात हो चुकी है। राजनाथ सिंह ने मंदिर के आसपास की भूमि मंदिर की व्यवस्थाओं के लिए लीज पर दिए जाने पर अपनी सहमति जताई है।

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बता दें की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महंत नरेन्द्र गिरी बड़ा झटका देते हुए 19 मार्च 2020 तक मंदिर के 4335 वर्ग फीट एरिया के अलावा किये गये अवैध निर्माण हटा लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि याची यदि निर्माण नहीं हटाता तो सेना व प्राधिकरण को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने का अधिकार होगा। कोर्ट ने माघ मेले को देखते हुए मंदिर के महंत को तीन माह की मोहलत दी है और स्वयं अवैध कब्जा हटा लेने का समय दिया है। जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अजित कुमार की खंडपीठ ने नरेंद्र गिरी महंत बडे हनुमान मंदिर की याचिका को निस्तारित करते हुए ये आदेश दिया है।

गौतलब है की प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने मंदिर एरिया का सर्वे किया था। जिसमें मंदिर एरिया से अधिक भूमि पर अतिक्रमण पाया गया। जिसे हटाने की कार्रवाई के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी। याची का कहना था कि उसने केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है। अर्जी पर फैसला लेने तक कार्रवाई रोकी जाय। कोर्ट के आदेश पर अधिवक्ता कमिश्नर ने मौके का निरीक्षण कर नक्शा सहित रिपोर्ट दी। कोर्ट ने इनके प्रयास की तारीफ की है और कहा है कि इससे विवाद का निस्तारण करने में मदद मिली है। कोर्ट ने कहा है कि जितना एरिया मंदिर के नाम दर्ज है उतने में ही महंत का अधिकार है। इसके अलावा शेष एरिया से निर्माण हटाया जाये। क्योंकि केन्द्र सरकार ने अनुमति नहीं दी है।

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