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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 वर्षीय बलात्कार पीड़िता को 23 सप्ताह की प्रेग्नेंसी के टर्मिनेशन की अनुमति दी, जानिए वजह

कोर्ट ने एक 12 वर्षीय बलात्कार पीड़िता की तरफ से दायर उस रिट याचिका को अनुमति दे दी है,जिसमें उसने अपनी 23 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करवाने की अनुमति मांगी थी। इस मामले में मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए जस्टिस अट्टाउ रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने मेडिकल विशेषज्ञों को न्याय के हित में गर्भावस्था को समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ने की अनुमति दे दी है।

प्रयागराजSep 13, 2022 / 05:25 pm

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 वर्षीय बलात्कार पीड़िता को 23 सप्ताह की प्रेग्नेंसी के टर्मिनेशन की अनुमति दी, जानिए वजह

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 वार्षिय बलात्कार पीड़िता को समाज के प्रति दुःख और ताने से बचाने के लिए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक 12 वर्षीय बलात्कार पीड़िता की तरफ से दायर उस रिट याचिका को अनुमति दे दी है,जिसमें उसने अपनी 23 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करवाने की अनुमति मांगी थी। इस मामले में मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए जस्टिस अट्टाउ रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने मेडिकल विशेषज्ञों को न्याय के हित में गर्भावस्था को समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ने की अनुमति दे दी है।
गठित बोर्ड के रिपोर्ट अनुसार लिया गया फैसला

जानकारी के अनुसार मामला 8 सितंबर 2022 को सुनवाई के लिए आया था, तब कोर्ट ने पीड़िता की जांच करने और गर्भावस्था के मेडिकल टर्मिनेशन पर विचार करने के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने का आदेश दिया था। इसके बाद बोर्ड की रिपोर्ट और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि पीड़िता की 23 सप्ताह की गर्भावस्था है, न्यायालय ने गर्भपात की अनुमति दे दी गई है। इसके साथ ही ल निम्नलिखित आदेश पारित किया गया।
सामाजिक दुखों से होगी मुक्त

न्यायालय ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि सामाजिक दुखों के पीड़िता को मुक्त करने के लिए हम इसकी अनुमति दे रहे हैं। याचिकाकर्ता को इस उद्देश्य के लिए आवश्यक सभी आवश्यकताओं से सुसज्जित उचित चिकित्सा देखभाल प्रगदान की जाए। हम आशा और विश्वास करते हैं कि सीएमओ, बहराइच पूरी तरह से वित्तीय प्रबंध की निगरानी करेंगे,जिसमें पीड़ित के परिवार के दो अतिरिक्त सदस्यों के खाने-पीने और रहने का प्रबंध भी शामिल होगा।
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अदालत ने मेडिकल बोर्ड को गर्भपात से पहले पीड़िता के पिता की आवश्यक सहमति लेने की अनुमति भी दे दी है। अदालत ने आगे आदेश दिया है कि,”भ्रूण के ऊतकों को फोरेंसिक विश्लेषण और मुकदमे में सबूत के तौर पर उपयोग करने के लिए संरक्षित किया जाए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर, 2022 को होगी।

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