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इलाहाबाद हाईकोर्ट: राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह के खिलाफ क्रिमिनल केस वापस लेने वाली राज्य याचिका स्वीकार

आरोप है कि उसने 20-25 लोगों के साथ शिकायतकर्ता के घर पर पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी। मामले की जांच के बाद पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया था। इस मामले में अदालत ने 13 जुलाई 2009 को संज्ञान लेते हुए सभी आरोपियों को तलब किया। हालांकि 2019 में राज्य सरकार ने मामले को वापस लेने का फैसला किया, लेकिन पीपी की अर्जी दाखिल हो गई।

प्रयागराजJul 18, 2022 / 11:06 am

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट: राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह के खिलाफ क्रिमिनल केस वापस लेने वाली राज्य याचिका स्वीकार

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के हेल्थ राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह के खिलाफ क्रिमिनल केस वापस लेने के लिए राज्य सरकार के आवेदन को स्वीकार कर लिया है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने कहा कि जब शिकायतकर्ता स्वयं अभियोजन मामले का समर्थन नहीं कर रहा है, तो मामले में आरोपी के दोषी ठहराए जाने की कोई संभावना नहीं है और इस प्रकार, अभियोजन से हटना न्याय के हित में होगा।
कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दायर एक पुनरीक्षण आवेदन को विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए कोर्ट VI-अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, रायबरेली द्वारा 2020 में पारित आदेश को चुनौती देने की अनुमति दी है। इसमें अभियोग पक्ष द्वारा केस वापस लेने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया था।
जाने पूरा मामला

राज्य मंत्री के खिलाफ क्रिमिनल केस वापसी की याचिका में राज्य सरकार की तरफ जानकारी दी गई है। यह मामला साल 2007 का है। जब विधानचुनावों के दौरान, मयंकेश्वर शरण सिंह अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार, बहुजन समाज पार्टी के दिनेश प्रताप सिंह के खिलाफ समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे थे। इसी मामले में दिनेश के एक समर्थक ने मयंकेश्वर और उनके करीब 20 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 307, 436, 397, 395, 323, 504, 506, 427 और यूपी गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधि अधिनियम की धारा 2 (3) के तहत एफआईआऱ दर्ज कराई थी।
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आरोप है कि उसने 20-25 लोगों के साथ शिकायतकर्ता के घर पर पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी। मामले की जांच के बाद पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया था। इस मामले में अदालत ने 13 जुलाई 2009 को संज्ञान लेते हुए सभी आरोपियों को तलब किया। हालांकि 2019 में राज्य सरकार ने मामले को वापस लेने का फैसला किया, लेकिन पीपी की अर्जी दाखिल हो गई।

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