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इस तरह बिछी चुनावी चौसर
प्रतापगढ़ में चुनावी चौसर पंचायत चुनावों में भी काफी मजबूत तरीके से बिछायी गयी थी। इस बार राजघरानों की भूमिका प्रमुख रही। कालाकांकर रियासत से तनुश्री भाजपा के टिकट पर मैदान में थीं। लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रमोद तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस ने कांटे की टक्कर दी। यही वजह थी कि कालाकांकर प्रथम, कालांकाकर द्वितीय, कालाकांककर तृतीय एवं बाबागंज प्रथम पर हार-जीत का फैसला अंतिम समय में हुआ। कुल 42 सीटों पर खड़े कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों में सिर्फ रामपुर खास में ही पांच सीटों पर विजय मिल पायी। जिला पंचायत सदस्य की 25 सीटों पर अपना समर्थित प्रत्याशी घोषित करने वाली बसपा को महज एक सीट पर विजय मिल सकी। समाजवादी पार्टी ने जहां 15 सीट पर कब्जा जमाया वहीं जनसत्ता दल 10 सीटों पर कब्जा बनाकर दूसरी बड़ी पार्टी बन गयी। भाजपा को पांच, कांग्रेस को पांच और बसपा को एक सीट से ही संतोष करना पड़ा। एक सीट निषाद पार्टी के खाते में गयी है। 18 निर्दलीय जीते हैं। ऐसे में अब मुख्य मुकाबला सपा और जनसत्ता दल के बीच ही होगा।
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राजाभैया का ही रहा है दबदबा
1995 में जिला पंचायत चुनाव में राजा भैया समर्थित अमरावती ने जीत हासिल करने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष का पद संभाला था। 2000 में राजा भैया समर्थित विन्देश्वरी पटेल जिला अध्यक्ष बनी थीं। जबकि 2005 में राजा भैया समर्थित प्रत्याशी कमला देवी ने अध्यक्षी की कुर्सी संभाली थी। 2011 में बसपा के प्रमोद मौर्य ने राजा भैया के जीत का रथ रोकते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा कर लिया था, लेकिन 2016 में राजा भैया समर्थित प्रत्याशी उमा शंकर यादव ने जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पर कब्जा कर लिया था।
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बीटेक, एमटेक डिग्रीवालों को गांव की कमान
विकास खंड कुंडा की इटौरा ग्राम पंचायत में एमटेक डिग्रीधारक गौरव त्रिपाठी 633 वोट पाकर प्रधान निर्वाचित हुए हैं। इसी तरह लालगंज विकास खंड की असरही ग्राम पंचायत से बीटेक डिग्रीधारक ज्योत्सना सिंह 580 वोट पाकर ग्राम प्रधान निर्वाचित हुई हैं। गौरव और ज्योत्सना दोनों प्रयागराज में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। ग्राम पंचायत में शिक्षित प्रधान होने से गांव के लोग भी खुश हैं।