कुंडा ब्लॉक राजा भैया के 1993 में राजनीति में कदम रखने के बाद 1995 से तहसील के चारों ब्लॉकों पर इनका प्रभाव रहा है। साल 1995 में राजा भैया ने अमरावती सिंह को अध्यक्ष बनवाकर जिला पंचायत में अपना झंडा गाड़ा तो वर्ष 2000 में उनके प्रत्याशी को मात देने के लिए सभी दल एकजुट हो गए। कुंडा ब्लॉक में 1995 में पहली बार रामसजीवन पटेल निर्विरोध, वर्ष 2000 में रामकृपाल सरोज निर्विरोध, वर्ष 2005 में अरुणा सिंह निर्विरोध ब्लाक प्रमुख चुनीं गईं। वहीं 2010 में बसपा सरकार के दौरान हुए ब्लॉक प्रमुख चुनाव में राजा भैया समर्थक संतोष सिंह ने बसपा के दिलीप तिवारी को हराकर ब्लॉक प्रमुख का खिताब अपने नाम किया था। 2015 में संतोष सिंह पुन: निर्विरोध चुने गए। लगातार चार वर्षों से कुंडा ब्लॉक में राजा भैया के समर्थकों का दबदबा रहा है। इस बार संतोष की पत्नी रीता सिंह चुनाव मैदान में हैं।
बाबागंज ब्लॉक बाबागंज ब्लॉक में भी राजा भैया के समर्थकों का बोलबाला है। वर्ष 1995 में विश्वम्भर सरोज निर्विरोध चुने गए थे। वर्ष 2000 और 2005 लगातार दो बार उमाशंकर यादव निर्विरोध चुने गए थे। 2010 के चुनाव में बसपा से मनोज शुक्ला जीते थे लेकिन ढाई साल में ही अविश्वास प्रस्ताव के कारण उन्हें पद त्यागना पड़ा। इसके बाद 04 जनवरी 2013 को पंकज सिंह निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख चुने गए। वर्ष 2015 में पंकज सिंह की पत्नी बिंदु सिंह निर्विरोध चुनी गईं। इसी तरह कालाकांकर ब्लॉक में भी जोरदार टक्कर की संभावना जताई गई है।
मतदान केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा ब्लॉकों में सुरक्षा का सख्त घेरा रहेगा। हर मतदान केंद्र पर एक कोतवाल, दो दारोगा, सिपाही तैनात रखे गए हैं। संवेदनशील बूथ पर सीओ व इंस्पेक्टर के साथ पीएसी लगाई गई है। कुल मिलाकर 12 इंस्पेक्टर, 70 सिपाही, 50 होमगार्ड, दो प्लाटून पीएसी, क्यूआरटी, डाक स्क्वायड, फील्ड यूनिट, फायर ब्रिगेड को भी लगाया गया है।