Pratapgarh Weather News: जिले में बारिश का दौर धीमा हो गया है लेकिन बदलते मौसम और बढ़ते मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ना शुरू हो गया है। वहीं यहां-वहां जमा पानी, गंदगी और तापमान में बदलाव के चलते मौसमी बीमारियां भी बढ़ी हुई है। खासकर मच्छर जनित बीमारियों जैसे डेंगू ने पैर पसार लिए हैं।
उधर, मौसमी बीमारियों के साथ ही मलेरिया, चिकनगुनिया और स्क्रब टायफस से पीड़ितों के मरीज भी आ रहे है। ऐसे में बड़ी संख्या में मरीज चिकित्सालयों में उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। अकेले जिला चिकित्सालय में ही गत माह डेंगू के 51 मरीज मिले हैं। इसे देखते हुए चिकित्सा विभाग भी सतर्क हो गया है और बीमारी से बचाव व उपचार के लिए कमर कस ली है।
एडीज इजिप्टी मच्छर से होता है डेंगू, दिन में काटता है
डेंगू मादा मच्छर एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। इस मच्छर के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती है। यह मच्छर रात में नहीं बल्कि दिन में काटती है। ऐसे में रात से ज्यादा सुबह इन मच्छरों से बचना जरूरी है। यह मच्छर गंदे पानी में ही नहीं बल्कि साफ पानी में भी पनपती है। यदि किसी स्थान पर पानी 3-4 दिन तक जमा है तो यह मच्छर उसमें पनप सकती है। इसलिए कूलर को इस मौसम में जरूर साफ करना चाहिए।
यह हैं लक्षण
तेज़ बुखार, आँखों के पीछे तीव्र दर्द होना, मतली या उलटी, मांसपेशियों ए हड्डियों और जोड़ों में दर्द, पेट दर्द बार-बार उल्टी होना, रक्त उल्टी होना या मल में रक्त आना, नाक से खून आना या मसूड़ों से खून आना। अत्यधिक थकान, बेचौनी या चिड़चिड़ापन।
ऐसे करें बचाव
डेंगू से बचाव का मुख्य तरीका मच्छरों के काटने से बचना है। बाहर जाते समय खुली त्वचा को ढककर रखें, विशेषकर रात में जब मच्छरों के होने की संभावना अधिक होती है। ठहऱे पानी को हटा दें, बाल्टी या परिंडो में पक्षियों के स्नान के लिए इस्तेमाल होने वाले बर्तन, पुराने टायर जिनमें वर्षा का पानी जमा हो सकता है, सभी पात्रों को खाली कर दे। जिन क्षेत्रों में डेंगू आम है, वहां मच्छरदानी का प्रयोग करें। ऐसे शहरों और स्थानों पर यात्रा स? बचना चाहिए जहां पहले से डेंगू की बीमारी फैली हुई।
जिला चिकित्सालय में गत माह 51 डेंगू मरीज
डेंगू के मामले में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि अस्पताल की लेबोरेटरी में पर्याप्त मात्रा में डेंगू मलेरिया की जांच के लिए उपकरण और किट मौजूद है। इसी के साथ डैडिकेटेड सेट्रल लेबारेटरी अपनी क्षमता के दूगने स्तर से काम कर रही है। अस्पताल में एलाइजा टेस्ट किए जा रहे हैं। अकेले जिला चिकित्सालय में ही सितंबर माह में 363 टेस्ट हुए जिनमें 51 में डेंगू की पुष्टि हुई। फिलहाल सभी रोगी स्वस्थ्य है, अथवा उपचार पर है। किसी भी प्रकार की जनहानी नहीं होने दी गई है। इसी प्रकार अस्पताल में डेंगू के लिए अलग से डेडिकेटेड वार्ड भी तैयार किया गया है।
ब्लड सेपरेटर यूनिट तैयार, प्लाज्मा की नहीं होगी दिक्कत
डेंगू और मलेरिया से निपटने के लिए ब्लड सेपेरेटर यूनिट संजीवनी साबित हो रहा है। ब्लड सेपरेटर यूनिट पूरी क्षमता से लैश है। डेंगू के केसेज में प्लेट्लेट्स की कमी को पूरा करने के लिए जिला चिकित्सालय में पर्याप्त सुविधाएं मौजूद है। उन्होंने कहा कि किसी भी रोगी को आवश्यकता पडऩे पर रक्त से प्लेट्लेटस चढ़ाया जा सकता है। इसी के साथ ही सेपेरटर यूनिट की मदद से एक यूनिट रक्त से तीन तरह के रोगियों को फायदा दिया जा सकता हैं।
सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में ज्यादा खतरा
डेंगू मच्छर का पीक सीजन सितंबर, अक्टूबर और नवंबर माना जाता है। डेंगू फैलाने वाले मच्छर एडीज एजीपीटी मच्छर की उम्र एक महीना तक की होती है। यह मच्छर तीन फीट से ज्यादा ऊंचा नहीं उड़ सकता है। इस कारण वह जब भी किसी को काटता तो केवल लोअर लिंब्स पर ही डंक मारता है। मादा मच्छर, कूलर, गमला और लावर पॉट, छत पर पड़े पुराने बर्तनों और टायर में भरे पानी में भी जम सकता है। यह साफ पानी में भी अपने अंडे देती है। अंडों से लार्वा बनने में 2-7 दिन तक समय लगता है।