रैली तिरंगा चौराहा से शुरू होकर कलक्ट्रेट पहुंची, जहां किसानों ने अपना विरोध दर्ज कराया। वहीं मांगों को लेकर राष्ट्रपति के नाम जिला कलक्टर डॉ. अंजलि राजोरिया को ज्ञापन सौंपा गया। इस दौरान मिनी सचिवालय के अंदर और बाहर काफी संख्या में ट्रैक्टर खड़े किए हुए थे।
जिला अध्यक्ष मोहनलाल कुमावत ने बताया कि गत कई वर्षों से किसानों के लिए खेती करना नुकसानदायक होता जा रहा है जहां प्रमुख व्यवसायिक फसल के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं हो रही है। महंगाई लगातार बढ़ रही है।
वहीं दूसरी ओर, खेती में लागत भी बढ़ रही है। ऐसे में किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। सोयाबीन का मूल्य 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल करने और अन्य फसलों के लागत मूल्य में वृद्धि करने को लेकर किसानों की ओर से ट्रैक्टर और बाइक रैली निकाली गई।
रैली को लेकर सुबह से ही किसान अपने-अपने साधनों के साथ तिरंगा चौराहा पर पहुंचे। यहां से सभी वाहनों के साथ रैली के रूप में निकले जो जीरो माइल चौराहा, गांधी चौराहा, बस स्टैंड कृषि मंडी रोड, धरियावद नाका होते हुए कलक्ट्रेट पहुंचे। यहां किसानों ने नारेबाजी कर जमकर प्रदर्शन किया।
प्रतापगढ़ के किसानों की है ये मांग
किसानों ने राष्ट्रपति के नाम सौंपे ज्ञापन में बताया कि किसानों को उनकी फसलों का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। इससे किसानों को अपना जीवन-यापन करने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही उन्होंने बारिश से खराब हुई फसलों की शीघ्र गिरदावरी कराकर मुआवजा देने की मांग की। इस दौरान बड़ी संख्या में जिले भर से आए किसान मौजूद रहे।बोले: लागत बढ़ रही, भाव नहीं
ज्ञापन में किसानों ने कहा कि हर फसल की लागत मूल्य बढ़ती जा रही है। जबकि भावों में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। आज कृषि किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। लागत ज्यादा व उत्पादन घट रहा है। कृषि में लगने वाले खर्चे एवं मजदूरी ज्यादा होने से किसान खेती छोड़ने पर मजबूर हैं।ज्ञापन में यह मांगें प्रमुख रही
यहां मिनी सचिवालय में किसानों की ओर से ज्ञापन सौंपा जिसमें सोयाबीन के भाव व अन्य फसलों के भाव 10 हजार रुपए व एमएसपी गांरटी की मांग की गई। फसलों की की खराबे व बीमा क्लेम खसरे के अनुसार गिरदावरी कराई जाकर मुआवजा दिया जाए। ओलावृष्टि के कारण कटें हुए अफीम लाइसेन्स जारी किए जाए। धारा 29 एनडीपीएस एक्ट हटाया जाए। डोडा चूरा एनडीपीएस एक्ट से हटाकर आबकारी मे सम्मिलित किया जाए एवं किसानों को नए अफीम लाइसेन्स दिए जाए। प्रत्येक वर्ष 5 प्रतिशत कीमत सभी फसलों की बढ़ाई जाए। फसल बीमा कम्पनियां व बैंक मिलकर किसानों से बिना सहमति के बीमे की प्रिमियम नहीं काटी जाए।
सरकार का मकान की परमिशन व पट्टा बनाते वक्त प्रत्येक किसान को पार्किंग दो पेड़ छत का पानी टेंक व भूमि रिचार्ज करने पर ही वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होने पर ही मकान की परमिशन व पट्टा बनाया जाए। मिट्टी परीक्षाण ग्राम सेवक द्वारा प्रत्येक खेत पर जाकर की जावे एवं कृषि संबंधी जानकारी समय समय पर दी जाए। कृषि यंत्रों पर सरकारी छूट तुरन्त प्राप्त किसानों को दी जाए।
किसानो की फसलों की सुरक्षा रोजडो जंगली सुवरों से वन विभाग द्वारा पकड़े जाए या मारने का आदेश दिया जाए। यहां मेवाड, मालवा वागड़ क्षेत्र में प्रमुख फसले हैं। जिनकी कीमतें समर्थन मूल्य से बहुत कम है। सभी फसलों की एमएसपी गारंटी कानून की मांग की गई। किसानों को भी 10 हजार रुपए पेंशन की मांग की। नरेगा को कृषि से जोडा जाए।
फ्री की रेवड़ी हमें नहीं चाहिए। हमें हमारे फसल की उचित कीमत चाहिए। सीपीएस अफीम की मार्फीन 3.5 की जाए। मण्डी में आडतिया पद्वति खत्म की जाए। मण्डी मे सोयाबीन मशीन से नमी चेक करना बंद होनी चाहिए। दूध की कीमत 100 रुपए लीटर व सब्जी 50 रुपए किलो की मांग की गई।