जल दोहन से कमी
गत कुछ वर्षों से जिले में जलाशयों पानी का अवैध दोहन होने से प्रवासी पक्षियों को असुरक्षा महसूस होने लगी है। ऐेसे में कई जलाशयों पर ये पक्षी दुबारा नहीं आए है।
नवंबर से फरवरी अंत तक प्रवास
जिले में सर्दी के दौर तक प्रवासी पक्षी ठहरते है। ये प्रवासी पक्षी नवंबर के शुरुआत से आना शुरू हो जाते है। जो सर्दी का दौर होने तक फरवरी अंत तक और कभी-कभी मार्च तक यहां ठहरते है। इसके बाद ये अपने वतन लौट जाते है। ये प्रवासी परिंदे जलाशयों व तालाब को अपना आशियाना बनाते हैं। ग्रीष्म शुरू होने के साथ वापस अपने मूल स्थान पर चले जाते हैं।
बाघ को शिकार करते देख रोमांचित हुए लोग
जिले में अब तक यह पक्षी आए रिकॉर्ड में
जिले में गत वर्षों से की जा रही गणना में कई प्रजातियों के पक्षी रिकॉर्ड किए गए है। जिसमें कॉमन कूट, परपल स्वामफैन, कॉमल मूरहेन, सारस क्रेन, कॉमन पोचार्ड, नॉर्थन शॉवलर, यूरेशियन वेगन, नॉर्थर पिंटेल एक हजार, ग्रे लेग गूज, रडी शेल्डक, पेंटेड स्टॉर्क, इंडियन पांड हेरोन, लिटिल इग्रेट, कॉम्बडक देखे गए हैं। इसके अलावा दो वर्ष पहले फ्लैमिंगों भी दिखाई दिए।
प्रमुख जलाशयों पर अठखेलियां कर रहे प्रवासी पक्षी
हिमालय की तराई और इसके पार दूर-दराज से सर्दियों में आए प्रवासी पक्षी जलाशयों में अठखेलियां कर रहे हैं। इस वर्ष बारिश औसत होने से प्रवासी पक्षी भी जिले के अधिक जलाशयों में दिखाई दे रहे हैं। इसमें जिले के छोटे-बड़े दो दर्जन से भी अधिक जलाशय हैं। जहां प्रवासी पक्षी देखे जा रहे है। जिले के निनोर, रायपुर, गादोला तालाब, छोटी बम्बोरी, देवगढ़ तालाब, लालपुरा, फूटा तालाब, अचलावदा, बड़वन, पाड़लिया बांध, मानपुरा एनीकट, जाजली, छोटी सादड़ी, मौखमपुरा तालाब, चाचाखेड़ी बांध समेत विभिन्न स्थानों पर जलाशयों में प्रवासी पक्षी देखे जा रहे है।
दर्ज किए जाएंगे आंकड़े
वन विभाग की ओर से गत पांच वर्षों से प्रवासी पक्षियों की गणना की जा रही है। इसके तहत पक्षियों के आने वाले प्रमुख जलाशयों पर गणना की जा रही है। जिसके तहत प्रवासी पक्षियों का भी रिकॉर्ड दर्ज करना शुरू किया है। इन आंकड़ों के आधार पर प्रवासी पक्षियों के अध्ययन को गति मिलेगी। जिले में आधा दर्जन जलाशयों पर प्रवासी पक्षी प्रति वर्ष पहुंचते है। जिले में आगामी सप्ताह इनकी गणना की जाएगी।
हरिकिशन सारस्वत, उपवन संरक्षक, प्रतापगढ़