यही कारण है कि बच्चों को वह शिक्षा और सुविधा नहीं मिल पाती जो उन्हें मिलनी चाहिए। जिले के दूर-दराज के क्षेत्रों में ऐसा ज्यादा देखने में आता है। ऐसा ही कुछ इस समय गांवों के कई स्कूलों में हो रहा है जहां बारिश के दौरान कहीं स्कूलों तो कहीं कक्षाओं तक में पानी भर रहा है।
वहीं कई जर्जर स्कूल भवन अब खंडहर होने को हैं लेकिन उन पर शासन-प्रशासन का अपेक्षित ध्यान नहीं है। ऐसे में बच्चों को शिक्षा पाने में सुविधा नहीं मिल रही तो कहीं-कहीं तो उन्हें खासी परेशानी और जोखिम भी उठाना पड़ रहा है।
विद्यालय भवन हुआ जर्जर
प्रतापगढ़ में मूंगाणा इलाके के समीपवर्ती राजकीय प्राथमिक विद्यालय जूना बोरिया में कक्षा के अभाव में अध्यनरत बालकों को काफी परेशानियां उठानी पड़ रही है। इस विद्यालय में चार कमरे बने हुए हैं। उसमें से एक कमरा काफी जर्जर हालत में है। छत की पट्टियां अपनी जगह से खिसक गई है और कमरे में पानी टपकता है। ऐसी स्थिति में बैठना मुश्किल है, वर्तमान में यह कमरा खाली पड़ा हुआ है। विद्यालय भवन के बरामदे में छत के सरिए बाहर निकल चुके हैं। जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। बरसात के समय पूरे बरामदे में पानी टपकता है। बच्चों को बाहर बरामदे में बैठने से डर लगा रहता है।
आलम यह है कि कभी भी छत नीचे गिर सकती है। ऐसे में अधिकांश समय बरसात के दौरान बच्चों की छुट्टी कर दी जाती है। विद्यालय में कक्षा 1 से 5 तक 47 विद्यार्थी अध्यनरत हैं। संस्था प्रधान कालु बुनकर ने बताया कि विद्यालय भवन जर्जर को लेकर विभाग के उच्च अधिकारियों को समय-समय पर अवगत कराया गया है। जूना बोरिया ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच संजय मीणा ने बताया कि राजकीय प्राथमिक विद्यालय जूना बोरिया का भवन काफी जर्जर होने से इस विद्या मंदिर में अध्यनरत बालकों के साथ कभी भी अनहोनी हो सकती है।
महुवाल स्कूल की कक्षाओं में टपक रहा पानी
भीलवाड़ा के पीपलखूंट इलाके में ग्राम पंचायत महुवाल के सबसे बड़े राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय महुवाल में कुल आठ कमरे हैं। इसमें से तीन जर्जर है, छत से पानी टपक रहा है और प्लास्टर टूटकर अपने आप नीचे गिर रहा है। तीन कमरे खंडहर हो चुके हैं। एक में ऑफिस संचालित हो रहा है, एक में रसोईघर है। इस विद्यालय के सभी कमरों की छत टपक रही है। विद्यालय में पढऩे वाले विद्यार्थियों की संख्या 285 के करीब है। ऐसे में बच्चों की कक्षाएं इन तीन जर्जर कमरों में लग रही है और यहां पूरे कमरे क्षतिग्रस्त हैं। इनकी छत से पानी टपक रहा है।
जर्जर भवन कभी भी गिर सकते हैं। ऐसे में विद्यार्थी अपनी जान हथेली पर रखकर पढ़ाई करने आ रहे हैं। यदि विद्यालय समय में कोई हादसा हो जाता है तो बहुत बड़ी जनहानि हो सकती है। यह विद्यालय 12वीं तक संचालित हो रहा है कुल स्वीकृत पद 18 है, टोटल स्टाफ 13 हैं।
अध्यापकों की कमी होने की वजह से विद्यार्थियों का भविष्य भी अंधकार में है। जिस स्कूल में पढ़ाई करने से विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास होता है। वही शिक्षण संस्था समस्या से ग्रस्त है। ग्राम पंचायत महुवाल के लोग कई वर्षों से लगातार शासन प्रशासन के लोगों को अवगत कराता आ रहा है लेकिन अब तक इस समस्या पर शासन-प्रशासन की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा। ग्रामीणों ने कहा कि यदि उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे। जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।