प्रतापगढ़

दूधली टांडा गांव बना बरसाना, नेजा लूटने आए युवाओं पर महिलाओं ने बरसाए लठ

-नगाड़ों की थाप के साथ खेली लठमार होली

प्रतापगढ़Mar 12, 2020 / 07:42 pm

Hitesh Upadhyay

दूधली टांडा गांव बना बरसाना, नेजा लूटने आए युवाओं पर महिलाओं ने बरसाए लठ

प्रतापगढ़. जिले में फाग के उल्लास भरे रंग परम्पराओं के रूप में होली बीतने के बाद भी बरस रहे हैं। दूधली टांडा गांव में गुरुवार को लबाना समाज की ओर से लठमार होली खेली गई। नगाड़ों की थाप के बीच महिलाओं ने नेजा लूटने आए युवाओं और गांव के पुरुषों पर जमकर डंडे बरसाए। इस दौरान बरसाना की प्रसिद्ध लठमार होली जैसा दृश्य बन गया। नेजे के रूप में खेत के बीचों-बीच 8 0 किलो गेहूं से भरे बोरे पर नगाड़ा बांधा गया। इस नगाड़े तक पहुंचने के लिए पुरुष-युवा आते हैं, इस पर महिलाएं डंडे बरसाती हैं।
लठमार होली के लिए बरसाना देश ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध है। यहां बरसाने की महिलाओं और नंदगांव के पुरुषों द्वारा खेली जाने वाली लठ मार होली का अलग ही नजारा होता है। प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से 8 किमी दूर टांडा गांव में भी गुरुवार को एक दिन के लिए बरसाना बन गया, जहां बरसों पुरानी परंपरा का निर्वाह करते हुए महिलाओं ने नेजा लूटने आए पुरुषों का स्वागत लठ से किया। पुरुषों ने भी सहजता से लठ की मार सहते हुए नेजा लूटने की कोशिश की। लठमार होली से पहले गांव के बीच में शाम ढलने से पूर्व विधिविधान पूर्वक पूजा अर्चना के साथ शुरू हुई। इस दौरान पुरूष व महिलाएं ललेनो नृत्य करते रहे। उसके बाद में खेत पर लठमार होली खेली गई।
महिला समानता की सोच :
टांडा गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं के साथ समानता का दर्जा बना रहे, इसके लिए बुजुर्गों ने इस प्रकार के कार्यक्रम रखे थे। पुराने समय में पुरूष-प्रधान समाज में जहां महिलाओं की हर जगह उपेक्षा की जाती थी। इससे महिलाओं में पुरूष समाज के प्रति उत्पत्र कुंठा के भाव को दूर करने के लिए लठमार होली का आयोजन किया। इस दिन पुरूष खुशी-खुशी महिलाओं से मार खाकर उनके साल भर के गिले शिकवों को दूर करते हैं। इस खेल को खेलने से पहले पूर्व भगवान शिव व पार्वती के सुखमय जीवन के गीतों का गायन किया गया। हर साल यह आयोजन भले ही लबाना समाज करवाता है, लेकिन दूसरे समाज भी इसमें उत्साह से शामिल होते हैं।
नेजा लूटने पर महिलाएं पुरुषों पर बरसाती है लठ
परंपरा के अनुसार लठमार होली के एक दिन पहले रात में ही पुरुष खेत में 8 0 किलो गेहूं से भरी बोरी बांधते हैं। उसके ऊपर नगाड़ा बांधा जाता है। टांडा के माधु लबाना नायक ने बताया कि यह आयोजन कई दशकों से चलता आ रहा है। इस उत्सव को भगवान शिव का वरदान मानने के कारण लबाना समाज मनाता आ रहा है। इस दौरान यहां ब्रज की संस्कृति देखने को मिलती है। प्रतापगढ़ शहर सहित आसपास के लोग बड़ी संख्या में उत्साह से भाग लेते हैं।

Hindi News / Pratapgarh / दूधली टांडा गांव बना बरसाना, नेजा लूटने आए युवाओं पर महिलाओं ने बरसाए लठ

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.