कोरोना के कारण बाहर नहीं निकल पा रहा था। खासकर नेचर के बीच जाने का मौका कम ही मिलता था। इसलिए हमारे ग्रुप ने एक पहल की है जिसमें हम वीक में एक बार सुबह नेचर के बीच कविताओं, कहानियों को चलकर सुनाते हैं। इसके लिए शहर की बेस्ट लोकेशन चुनी जाती है। हम चलते-फिरते, खुली हवा में भी पढऩे और सुनने वालों के साथ इसे एन्जॉय करते हैं। बजाय किसी बंद कमरे में कुछ लोगों के साथ।
अंकित पांडे, युवा कवि
अंकित पांडे, युवा कवि
पोएट वॉक से इतने समय बाद युवा कवियों के लिए एक नया अनुभव रहता है। कोरोना काल में सृजनशीलता तो रही लेकिन सामाजिक दूरी के चलते काव्य रचना पर विमर्श हो पाना असम्भव रहता था। इसलिए ग्रुप के इस अनोखी पहल के चलते हम लोग कविता को नीले अम्बर और प्रकृति के बीच एक नए आयाम से अनुभव कर पाते हैं।
मौलश्री, इंग्लिश लिटरेचर और कवि ————- इस पहल से युवा कवियों को मोटिवेशन और इंप्रेशन मिलता है। हम एक साथ लिखते, सुनने और बातचीत करते हैं। सीनियर्स अपने अनुभव शेयर करते हैं। कई सारे कालजयी कवियों के बारे में भी बात करते हैं।
निशांत उपाध्याय, युवा कवि
निशांत उपाध्याय, युवा कवि