हाथरस कांड में देर रात पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार किए जाने के बाद हाई कोर्ट के निर्देश पर गृह विभाग ने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार किया है। यह एसओपी एक जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के अनुपालन में जारी की गई है। हाईकोर्ट ने फैसले में कहा है कि गरिमापूर्ण जीवन का अधिकार व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी बना रहता है। मानव शरीर की गरिमा अक्षुण्ण बनाए रखने के मौलिक आशय के साथ-साथ लोक एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से यह एसओपी जारी की गई है।
एसओपी के मुताबिक परिजनों को पोस्टमार्टम से दाह संस्कार के लिए शव किया दिया जाएगा और लिखित में सहमति ली जाएगी । परिजन शव को सीधे ले जा करके दाह संस्कार करें ना कि किसी व्यक्ति या संस्था के कहने पर बीच सड़क पर धरना प्रदर्शन करने लगे । अगर ऐसा होता है उसके खिलाफ कठोर करवाई की जाएगी।
दाह संस्कार के लिए शव परिजन को सौंपा जाएगा, यदि शव लेने से मना करने पर या दाह संस्कार में देरी करनी पर तो प्रशासन पांच प्रतिष्ठित लोगों से सहमति लेकर दाह संस्कार कर देगा लेकिन उन पांच लोगों में एक घर के लोग की सहमति हो।
यदि शव का दाह संस्कार किसी कारण बस रात में करना पड़ा तो घर के सदस्य की अनुमति लेकर किया जाएगा और इसकी पूरी वीडियोग्राफी बनाया जाए । वह वीडियो करीब 1 साल तक अपने पास तक रखा जाए ।