राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा शासित यूपी में पहले मुफ्त राशन और गरीब बेटियों की शादी के लिए मिलने वाला 20 हज़ार रूपये का अनुदान बंद कर भाजपा यह साबित करना चाहती है कि वह हक़ीकत में रेवड़ी कल्चर के खिलाफ है। चूँकि दूसरी विपक्षी पार्टियां केंद्र और भाजपा शासित राज्यों की ऐसी योजनाओं को उसके सामने आईने की तरह पेश कर रही हैं इसलिए इस मामले में उसका असहज होना स्वाभाविक है और फिर मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। यूपी में ऐसी योजनाओं को बंद करके वह शीर्ष अदालत को सन्देश देना चाहती है देश से मुफ्त सौगातों का राजनीतिक खेल ख़त्म होना चाहिए।
हालाँकि भाजपा के फ्रीबीज़ के विरोध को लोग सिर्फ गुजरात तक ही देख रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि गुजरात चुनाव में वह आप और कांग्रेस की लोकलुभावन घोषणाओं को बंद करना चाहती है ताकि गुजरात का नाराज़ वोटर मुफ्त के चक्कर में भाजपा से दूर न चला जाय। विश्लेषकों का यह भी मानना है कि गुजरात चुनाव बाद भाजपा स्वयं रेवड़ी कल्चर को दोबारा शुरू करेगी। उसे मालूम है कि देश की 80 प्रतिशत आबादी मुफ्त राशन के चक्कर में आसानी से मंहगाई और बेरोज़गारी की समयस्याओं को भूल जाती हैए उसे तो बस इतने में संतोष मिल जाता है कि घर में मुफ्त का राशन आ रहा है जिससे उनके परिवार का पेट भर रहा है।