राजनीति

चुनाव जीतने के लिए भाजपा को राम से ज्यादा रॉबर्ट पर भरोसा!

लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से रॉबर्ट वाड्रा नाम का ‘जिन्न’ बोतल से बाहर निकाल दिया है।

चुनाव जीतने के लिए भाजपा को राम से ज्यादा रॉबर्ट पर भरोसा!

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव को लेकर हलचलें तेज हो चुकी हैं और राजनीतिक दल अपने-अपने एजेंडे लागू करने के साथ विपक्षी दलों पर हमलावर हो गए हैं। इन सब के बीच भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से रॉबर्ट वाड्रा नाम का ‘जिन्न’ बोतल से बाहर निकाल दिया है। पिछले लोकसभा चुनाव में हिट साबित हुआ यह ‘नाम’, इस बार भाजपा के लिए ‘राम’ से ज्यादा ‘काम’ कर पाएगा या नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। बहरहाल इतना तो यह है कि भाजपा को चुनाव जीतने के लिए ‘रॉबर्ट वाड्रा’ पर काफी भरोसा है।
दरअसल, अगर बात करें वर्ष 2014 में आयोजित लोकसभा चुनाव की तो भाजपा ने रॉबर्ट वाड्रा के नाम पर फायदा उठाया था। भाजपा ने चुनाव से पहले 27 अप्रैल 2014 को एक विशाल प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इस कॉन्फ्रेंस में रविशंकर प्रसाद, जेपी नड्डा और बीकानेर से सांसद अर्जुन राम मेघवाल शामिल थे। इस दौरान भाजपा ने कांग्रेस को घेरने के लिए ‘दामादश्री’ नाम से एक 8 मिनट की वीडियो फिल्म दिखाने के साथ ही एक बुकलेट जारी की।
 

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‘दामादश्री’ नाम के इन दोनों वीडियो-बुकलेट के जरिये भाजपा ने रॉबर्ट वाड्रा पर तमाम आरोप लगाए थे। पार्टी ने ‘दामादश्री’ को घोटालों का बादशाह, किसानों का अपराधी और देश का सौदागर जैसा नाम भी दिया। जाहिर सी बात है भाजपा ने ‘दामादश्री’ की इस कथित सफलता के पीछे तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी का संरक्षण बताया था।
भाजपा ने 2014 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान ‘दामादश्री’ का मुद्दा जमकर उठाया था। पार्टी ने वाड्रा को डोमेस्टिक एयरपोर्ट्स पर सुरक्षा जांच से मुक्त यानी नो फ्रिस्किंग वाला व्यक्ति करार रदेते हुए इसे राजनीतिक दुरुपयोग बताया था। पार्टी को स्पष्टरूप से वाड्रा का नाम उछालने का फायदा भी पहुंचा और चुनाव में भारी जीत मिली थी।
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इतना ही नहीं भाजपा के लिए रॉबर्ट वाड्रा एक हिट चुनावी फॉर्मूला रहे हैं, इसका उदाहरण 2013 में आयोजित राजस्थान विधानसभा चुनाव, इसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव और फिर इसी वर्ष हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव के रूप में देखा जा सकता है। वाड्रा को लेकर कांग्रेस की मजबूरी भी है और कमजोरी भी। कांग्रेस वाड्रा का मुद्दा सामने आते ही डिफेंसिव मोड यानी बचाव मुद्रा में आ जाती है।
अब 2019 लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर रॉबर्ट वाड्रा का मुद्दा सामने आ चुका है। भाजपा ‘दामादश्री’ को लेकर आक्रामक तेवर एख्तियार कर चुकी है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रॉबर्ट वाड्रा का नाम सामने आने के बाद प्रवर्तन निदेशालय में वाड्रा की पेशी और इससे पहले दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट स्थित विशेष अदालत से मिली अग्रिम जमानत जैसी खबरों के चलते ‘दामादश्री’ चर्चा में हैं।
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भाजपा अब फिर से लोकसभा चुनाव से पहले प्रचार को लेकर रॉबर्ट वाड्रा के नाम पर वोट जुटाने की तैयारी में है। बुधवार को भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के संवाददाता सम्मेलन भी वाड्रा ही छाए रहे।
यहां ध्यान देने वाली बात है कि भाजपा पर आरोप लगते रहे हैं कि वो चुनाव से पहले राम मंदिर निर्माण का मुद्दा भी लेकर आ जाती है और बीते चुनाव के बाद इस बार भी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर माहौल गर्म है। यहां देखने वाली बात है कि इस बार चुनाव में भाजपा को रॉबर्ट वाड्रा कितना फायदा पहुंचाते हैं?

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