राजनीति

चुनावी घमासान के बीच क्‍यों उछला राहुल की नागरिकता का मुद्दा?

चार चरणों का चुनाव संपन्न होने के बाद राहुल कैंसे बन गए ब्रिटिश नागरिक
इस मुद्दे को तूल देने के पीछे सुब्रमण्यम स्वामी की मंशा पर भी उठ रहे हैं सवाल
चुनावी हार-जीत और नागरिकता विवाद कनेक्‍शन को लेकर भी चर्चा जोरों पर है

May 02, 2019 / 11:56 am

Dhirendra

राहुल की नागरिकता के मुद़दे को चुनावी घमासान के बीच एक बार फिर क्यों उछाला गया?

नई दिल्ली। सात चरणों वाले लोकसभा चुनाव के चार चरण संपन्न हो चुके हैं। इन चरणों में चुनावी घमासान जाति और धर्म पर केन्द्रित रहा लेकिन पांचवें चरण के मतदान से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर उठा विवाद अचानक सियासी घमासान का केंद्रीय विषय बन गया, पर कैसे? यह एक अहम सवाल है। आखिर इस मुद्दे को चुनाव के दौरान ही क्यों उछाला गया और चार चरणों के चुनाव के बाद राहुल गांधी परदेशी कैसें हो गए?
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नागरिकता का चुनावी कनेक्‍शन

गृह मंत्रालय की ओर से राहुल गांधी को जारी नोटिस के बाद से सवाल ये भी उठाए जा रहे हैं कि जब पहली बार इस मुद्दे को 2015 में उठाया गया तो अभी तक सरकार क्या कर रही थी? कहीं गृह मंत्रालय का नोटिस ‘चौकीदार चोर है’ का काउंटर अटैक तो नहीं। अगर ऐसा है तो क्या यह मान लें कि इस मुद्दे का चुनावी कनेक्‍शन है? अगर ऐसा ही है तो ये भी माना जा सकता है कि इस मुद्दे को कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी की छवि जनता के बीच धूमिल करने के मकसद से उछाला गया हो। ऐसा इसलिए कि इस मुद्दे पर न तो गृह मंत्रालय खुलकर बोलने के तैयार है न ही कांग्रेस इस बात का खुलकर जवाब देना चाहती है कि भाजपा नेता जो आरोप लगा रहे हैं उसकी असलियत क्‍या है?
राहुल की नागरिकता पॉलिटिकल हॉट केक कैसे बना?

दरअसल, गृह मंत्रालय में नागरिकता निदेशक के पद पर कार्यरत बीसी जोशी ने 29 अप्रैल (सोमवार) को एक नोटिस जारी कर कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी को बताया कि भाजपा सांसद सुब्रमण्यम की ओर से ब्रिटिश नागरिकता को लेकर आपके खिलाफ शिकायत की गई है। इस पर कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी से जवाब देने को कहा गया। राहुल को जवाब देने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया। चुनावी घमासान के बीच जारी इस नोटिस ने ही सियासी घमासान का रूप ले लिया है। अब इस बात को लेकर पक्ष और विपक्ष दोनों की ओर से आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। इस मामले में विपक्ष के अपने तर्क हैं तो सत्ता पक्ष और गृह मंत्रालय का अपना तर्क है।
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नोटिस में क्या है?

गृह मंत्रालय के नोटिस में कहा है कि भाजपा सांसद स्वामी ने शिकायत की है कि 2003 में ब्रिटेन में बैकॉप्स लिमिटेड नाम से एक कंपनी का रजिस्ट्रेशन हुआ था। इस कंपनी का पता 51 साउथगेट स्ट्रीट, विंचेस्टर, हैंपशायर SO23 9ईएच है। राहुल को इसके निदेशकों में से एक थे और सचिव भी थे। नोटिस में लिखा है कि स्वामी ने यह भी शिकायत की है कि कंपनी की ओर से 10-10-2005 और 31-10-2006 को फाइल वार्षिक रिटर्न में राहुल गांधी की जन्मतिथि 19-06-1970 और उनकी नागरिकता ब्रिटिश बताई गई है। यह भी कहा गया है कि 17-02-2009 को कंपनी को बंद करने के दौरान राहुल गांधी की नागरिकता ब्रिटिश बताई गई थी।
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राहुल की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग

गृह मंत्रालय की ओर से 29 अप्रैल को नोटिस जारी होने से पहले अमेठी से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे ध्रुव लाल ने रिटर्निंग ऑफिसर से शिकायत की थी कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं। इसलिए उनका नामांकन रद्द किया जाए। ध्रुव लाल ने ब्रिटेन में रजिस्टर्ड एक कंपनी के कागजातों के आधार पर यह दावा किया था। साथ ही राहुल गांधी की शैक्षणिक योग्यता में त्रुटि का आरोप भी लगाया गया। भाजपा ने भी इस मुद्दे को तूल देते हुए कांग्रेस और राहुल गांधी से इस मुद्दे पर जवाब मांगा था। इस शिकायत के आधार पर निर्वाचन अधिकारी ने राहुल के नामांकन की जांच करने के बाद उनकी उम्मीदवारी को वैध करार दिया।
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क्या है कि नागरिकता कानून?

नागरिकता कानून 1955 के मुताबिक अगर किसी का जन्म भारत में हुआ और उसके माता या पिता में कोई कोई भारतीय है तो वह स्वतः भारतीय का नागरिक हो जाता है। लेकिन अगर कोई किसी अन्य देश की नागरिकता ले लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता स्‍वत- समाप्‍ता हो जाती है। संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक अगर कोई भारत का नागरिक नहीं है तो वो भारत का चुनाव नहीं लड़ सकता।
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2015 से जारी नागरिकता विवाद का सच कुछ ऐसा है

1. 2015 में भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने पहली बार इस सवाल को उठाया था। उन्‍होंने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर बताया था कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। इस आधार पर उन्होंने संसद की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी।
2. भाजपा सांसद ने इस बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। अदालत ने सीबीआई जांच कराने की मांग वाली याचिका को ठुकरा दिया था। अदालत ने याचिका के साथ पेश दस्तावेज को अविश्वसनीय बताया था। लेकिन अभी तक दस्‍तावेजों की गुणवत्‍ता और विश्‍वसनीयता की जांच नहीं हुई है।
3. 2016 में पूर्वी दिल्‍ली से भाजपा सांसद महेश गिरि ने लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को चिट्ठी लिखकर राहुल गांधी को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की थी।
4. इस मसले को सुमित्रा महाजन ने लोकसभा की आचार समिति के पास भेज दिया था। उस समय एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी थे।
5. एथिक्स कमेटी ने राहुल से पूछा था कि क्या उन्होंने कभी खुद को ब्रिटिश नागरिक घोषित किया था?
6. जवाब में राहुल गांधी ने कहा था कि यह मामला केवल उनकी छवि का खराब कराने के लिए उठाया गया है।
7. आचार समिति से राहुल गांधी ने कहा था कि उन्होंने कभी भी ब्रिटिश नागरिकता नहीं मांगी थी। मैं सिर्फ भारतीय हूं।
8. राहुल गांधी ने सुब्रमण्यम स्वामी को ब्रिटिश नागरिक होने को लेकर जरूरी दस्तावेज पेश करने की चुनौती दी थी।
9. सुब्रमण्यम स्वामी ने सितंबर, 2017 में एक बार फिर इसे चर्चा में ले आए। इस बार उन्‍होंने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को चिट्ठी लिखकर इसकी सूचना दी।
 

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सोनिया गांधी की नागरिकता पर भी उठे थे सवाल

जुलाई, 2016 में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी की नागरिकता को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। रमेश सिंह नामक याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि सिटीजन ऑफ इंडिया और इंडियन सिटीजन दोनों अलग-अलग बातें हैं। सोनिया गांधी इंडियन सिटीजन हैं। इसलिए उन्हें मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं किया जाना चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया था।
 

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