scriptजम्मू-कश्मीर: आखिर मोदी सरकार क्यों चाहती है विधानसभा चुनाव से पहले परिसीमन? | Why, Modi Government Want Delimitation Before Assembly Elections In Jammu and Kashmir? | Patrika News
राजनीति

जम्मू-कश्मीर: आखिर मोदी सरकार क्यों चाहती है विधानसभा चुनाव से पहले परिसीमन?

मोदी सरकार ने संसद में पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पारित किया, जिसके तहत जम्मू कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया अपनाई गई है।

Jun 25, 2021 / 05:42 pm

Anil Kumar

pm_modi_and_amit_shah.png

Why, Modi Government Want Delimitation Before Assembly Elections In Jammu and Kashmir?

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A के हटने के करीब दो साल बाद से राजनीतिक गतिविधियों को लेकर पहली बार हलचल तेज हुई है। बीते दिन (24 जून, गुरुवार) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर की आठ सियासी दलों के 14 प्रतिनिधियों से दिल्ली में सर्वदलीय बैठक की। इस बैठक से पहले कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे, क्योंकि सरकार ने किसी भीी तरह का एजेंडा सामने नहीं रखा था।

अब गुरुवार को बातचीत शुरू होने के साथ ही मोदी सरकार का जम्मू-कश्मीर को लेकर एजेंडा भी सामने आया और सियासी दलों की प्रतिक्रिया भी। सर्वदलीय मैराथन बैठक में पीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि हमारी प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को मजबूत करना है। लिहाजा, वहां फिर से विधानसभा चुनाव कराए जाने को लेकर परिसीमन जरूरी है।

यह भी पढ़ें
-

सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी बोले – दिल्ली और दिल का दूरी खत्म करना चाहता हूं, जानिए किसने क्या कहा?


जम्मू-कश्मीर को लेकर राजनीतिक गतिविधियां शुरू करने के पीएम मोदी के फैसले का तमाम दलों ने स्वागत किया, लेकिन परिसीमन के मुद्दे पर असहमति जताई। साथ ही तमाम सियासी दलों ने ये बात दोहराई की वे धारा 370 और 35A के बहाली को लेकर संघर्ष करते रहेंगे। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की भी मांग की।

ऐसे में अब कई सवाल उठ रहे हैं, जिनमें एक महत्वपूर्ण प्रश्न ये है कि आखिर मोदी सरकार विधानसभा चुनाव कराने से पहले जम्मू-कश्मीर में परिसीमन क्यों कराना चाहती है? वहीं, दूसरा सवाल ये भी है कि यदि परिसीमन हो तो तमाम विपक्षी दल पीएम मोदी के इस फैसले पर असहमति क्यों जता रहे हैं? परिसीमन से किसे फायदा है और किसे नुकसान?

https://twitter.com/narendramodi/status/1408071816325734407?ref_src=twsrc%5Etfw

जम्मू-कश्मीर में कब शुरू हुआ परिसीमन?

दरअसल, मोदी सरकार ने करीब दो साल पहले 5 अगस्त 2019 को एक एतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A को समाप्त कर दिया था। इसके बाद से जम्मू-कश्मीर समेत पूरे देश में सियासी उबाल आ गया। तमाम विपक्षी दलों ने इसका विरोध जताया और प्रदर्शन किए।

सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो भाग में विभाजित करते हुए केंद्र शासित प्रदेश का गठन किया। पहला- जम्मू-कश्मीर और दुसरा- लद्दाख। सरकार ने संसद में पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पारित किया, जिसके तहत जम्मू कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया अपनाई गई है।

यह भी पढ़ें
-

पूर्व CM दिग्विजय सिंह बोले- कांग्रेस आई तो जम्मू कश्मीर में लगी धारा 370 हटा देंगे, शिवराज के मंत्री ने बताया- ‘देशद्रोह’

इसी पुनर्गठन अधिनियम के तहत ही जम्मू कश्मीर राज्य अब दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर व लद्दाख में पुनर्गठित हो चुका है और अब पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर में परिसीमन का काम चल रहा है। बीते साल मार्च में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था और मार्च 2022 तक पूरा होगा। इस आयोग में जम्मू कश्मीर के पांचों सांसद भी शामिल हैं, जिनकी भूमिका सलाहकार के तौर पर है।

माना जा रहा है कि परिसीमन का कार्य करीब-करीब पूरा हो चुका है, जिसके बाद ही पीएम मोदी ने राजनीतिक गतिविधि को फिर से शुरू करने की कवायद शुरू की है। मालूम हो कि इससे पहले जम्मू-कश्मीर में 1995 में परिसीमन का काम हुआ था।

https://www.dailymotion.com/embed/video/x828d66

मोदी सरकार क्यों चाहती है परिसीमन?

जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज है। विपक्षी दल लगातार इसका विरोध कर रहे हैं, जबिक मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर के भविष्य के लिए इसे जरूरी बता रही है। सियासी जानकारों की मानें तो परिसीमन से जम्मू कश्मीर में सत्ता और राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल जाएंगें।

जम्मू-कश्मीर में हो रहा परिसीमन न सिर्फ जम्मू या कश्मीर में विधानसभा सीटों के घटने या बढ़ने का मामला है बल्कि इससे अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों के लिए विधायिका में आरक्षण भी सुनिश्चित होगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हर बार और इस बार भी सर्वदलीय बैठक में जोर दे कर कहा कि मोदी सरकार सभी के सहयोग से परिसीमन प्रक्रिया और उसके बाद विधानसभा चुनाव करने के लिए प्रतिबद्ध है।

यह भी पढ़ें
-

70 साल के बुजुर्ग ने 45 साल छोटी लड़की से रचाई शादी, 24 घंटे बाद ही आन पड़ी ऐसी मुसीबत

वहीं प्रधानमंत्री ने भी बैठक में ये स्पष्टता के साथ सभी दलों को आश्वासन दिया कि वे परिसीमन प्रक्रिया का एक अभिन्न हिस्सा होंगे और उनके विचारों को लिया जाएगा। उन्होंने बैठक के बाद ट्वीट करते हुए कहा ‘हमारी प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है। परिसीमन जल्द होना चाहिए ताकि उसके बाद चुनाव कराए जा सकें।’

https://www.dailymotion.com/embed/video/x8285d5

परिसीमन के खिलाफ क्यों हैं कश्मीर की पार्टियां?

जहां एक ओर भाजपा व मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के पक्ष में हैं वहीं दूसरी तरफ कश्मीर की सियासी पार्टिंयां इसके खिलाफ हैं। गुरुवार को भी सर्वदलीय बैठक में तमाम कश्मीरी पार्टियों ने पीएम के फैसले पर असहमति जताई।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने परिसीमन के मुद्दे पर पीएम मोदी की बैठक में असहमति जताई। उन्होंने कहा कि अभी इसकी कोई जरूरत नहीं है। हालांकि, उन्होंने ये बात स्वीकार की कि उनकी पार्टी परिसीमन पर सरकार का सहयोग करेगी। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी परिसीमन पर असहमति जताई। ऐसे में सवाल है आखिर क्यों?

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, इसके कई कारण हैं। लेकिन मुख्य तौर पर जो कारण है वह सियासी है। यानी कि परिसीमन होने के बाद से कश्मीर घाटी और जम्मू के बीच राजनीतिक ताकत में बदलाव देखा जा जाएगा, जिसका सीधा असर विधानसभा में पड़ेगा। मतलब साफ है कि परिसीमन के बाद राज्य की सत्ता का नेतृत्व में भी परिवर्तन देखा जा सकेगा।

परिसीमन से बढ़ेगी जम्मू की ताकत

मालूम हो कि परिसीमन पूरा होने के बाद से राज्य में सियासी परिवर्तन देखने को मिल सकता है। दरअसल, पुनर्गठन अधिनियम लागू होने से पहले जम्मू कश्मीर राज्य विधानसभा में कुल 111 सीटें थीं। इनमें से कश्मीर संभाग की 46, जम्मू संभाग की 37 और लद्दाख की चार सीटें शामिल हैं। इसके अलावा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) की 24 सीटें जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आती हैं, लेकिन उनके लिए चुनाव नहीं होते हैं।

यह भी पढ़ें
-

बीजेपी नेता ने कहा, नेहरूजी की हठधर्मिता से धारा 370 लगी थी और आधा कश्मीर चला गया

अब चूंकि लद्दाख और जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेश बन चुके हैं ऐसे में लद्दाख की चार सीटें अलग हो चुकी हैं। लिहाजा, जम्मू कश्मीर में अब 107 सीटें बचीं है। अब परिसीमन पूरा होने के बाद जम्मू-कश्मीर में सात सीटें अधिक बढ़ जाएंगी। जिसके बाद कुल सीटें 114 हो जाएंगी। यही वह सात सीटें हैं जो जम्मू-कश्मीर की सियासत में बड़ा बदलाव कर सकता है।

माना जा रहा है कि परिसीमन के बाद जो सात सीटें बढ़ेंगी वह जम्मू संभाग में जुड़ेंगे। ऐसे में जम्मू संभाग की कुल सीटें बढ़ कर 44 (37+7) हो जाएंगी। वहीं कश्मीर संभाग में पहले की तरह 46 सीटें ही रहेंगी। अभी तक की राजनीतिक में हमेशा घाटी यानी कश्मीर संभाग का वर्चस्व रहा है। लेकिन अब जम्मू की भी ताकत बढ़ जाएगी। चूंकि कश्मीर घाटी में महबूबा मुफ्ती की पीडीपी और फारूक अब्दुल्ली की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस का वर्चस्व है। वहीं दूसरी तरफ जम्मू में भाजपा का वर्चस्व है। यही कारण है कि भाजपा चुनाव से पहले परिसीमन के पक्ष में है, जबकि तमाम विपक्षी दल इसका विरोध कर रही हैं।

https://www.dailymotion.com/embed/video/x828akg

एससी-एसटी को मिलेगा फायदा

मालूम हो कि मौजूदा विधानसभा सीटों की संख्या के आधार पर जम्मू-कश्मीर की कुल 83 सीटों में सात अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है। जबकि अनुसूचित जनजातियों के लिए एक सीट आरक्षित नहीं है। ये सभी आरक्षित सीटें जम्मू संभाग में आते हैं।

लेकिन अब परिसीमन के बाद अनुसूचित जनजातियों के लिए भी 11 सीटें आरक्षित होंगी। जो कि राज्य में एक बहुत बड़ा अहम बदलाव होगा। अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित अधिकांश सीटें कश्मीर में होंगी। ऐसे में गुज्जर, बक्करवाल, सिप्पी, गद्दी समुदाय के लोगों को इसका लाभ मिलेगा। राजौरी, पुंछ, रियासी, बनिहाल, कुलगाम, बारामुला, शोपियां, कुपवाड़ा, गांदरबल में जनजातीय समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रखते हैं लेकिन राजनीतिक भागीदारी जीरो है।

यह भी पढ़ें
-

धारा 370 के बयान पर बवाल : भाजपा नेता बोले- ‘हिंदुओं के भेष में औरंगज़ेब और बाबर हैं दिग्विजय सिंह’

परिसीमन के बाद इन जातियों के लोगों को भी राज्य की सत्ता के साथ जुड़ने का मौका मिलेगा जिससे जम्मू कश्मीर में एक नया राजनीतिक समीकरण देखने को मिलेगा। इसका सीधा फायदा भाजपा को मिल सकता है। संभवतः यही कारण है कि चुनाव से पहले भाजपा जम्मू-कश्मीर में परिसीमन कराना चाहती है।

https://www.dailymotion.com/embed/video/x82836t

Hindi News / Political / जम्मू-कश्मीर: आखिर मोदी सरकार क्यों चाहती है विधानसभा चुनाव से पहले परिसीमन?

ट्रेंडिंग वीडियो