चुनाव बाद हिंसा शर्मनाक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा पर ( West Bengal Post Poll Violence: ) हाईकोर्ट के फैसले पर कहा है कि ममता सरकार का राज खुलकर सामने आ गया है। नंदीग्राम से भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि ममता बनर्जी ने बंगाल को राजनीतिक हिंसा की प्रयोगशाला में तब्दील कर दिया है। कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि न्यायपालिका संविधान और लोकतंत्र का सबसे मजबूत स्तंभ है।
वहीं बंगाल भाजपा ( BJP ) के अध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है कि बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की घटनाएं लज्जाजनक हैं। बंगाल में लोकतंत्र की हत्या हो रही है। हाईकोर्ट के फैसले और सीबीआई जांच ( CBI Investigation ) से हिंसा पीड़ितों को न्याय और दोषियों को सख्त सजा मिलेगी। बंगाल भाजपा के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि हाईकोर्ट ने कहा है कि हिंसा के 60 फीसद मामलों में प्राथमिकी दर्ज ही नहीं की गई।
पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में पहला कदम राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ( NHRC ) फैक्ट फाइडिंग कमेटी ( Fact Finding ommittee ) के सदस्य आतिफ रशीद ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करता हूं। यह उन लोगों के लिए न्याय पाने का पहला कदम है, जिन्हें अपने पसंद का राजनीतिक दल चुनने के बदले हिंसा, हत्या, बलात्कार आदि जैसे अपराधों को सहने की सजा मिली।
सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती दूसरी तरफ ममता सरकार ( Mamata Government ) हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) में अपील करेगी। टीएमसी ( TMC ) नेता सौगत राय ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि जनता की अदालत में हारने के बाद भाजपा हाईकोर्ट की शरण में आई है। तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट राजनीति से प्रेरित थी। कानून-व्यवस्था पूरी तरह से राज्य का विषय है। इसमें बार-बार सीबीआई का हस्तक्षेप ठीक नहीं है। बता दें कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव बाद हिंसा मामले में सीबीआई की जांच का आदेश दिया है।