क्या बोले थे प्रहलाद जोशी
बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा था कि विदेश में पढ़ने वाले 90 फीसदी मेडिकल स्टूडेंट नीट पास नहीं कर पाते हैं। यही वजह है कि वे पढ़ाई के लिए विदेश चले जाते हैं। जोशी के इसी बयान पर विवाद छिड़ गया है। कांग्रेस और राकांपा नेताओं ने केंद्रीय मंत्री जोशी पर निशाना साधा है।
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कांग्रेस ने बताया छात्रों का अपमान
प्रहलाद जोशी के बयान पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। सुरजेवाला ने कहा कि केंद्रीय मंत्री का यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों के प्रति इस तरह का बयान उनके अपमान से कम नहीं है।
बीजेपी नेता के खिलाफ कार्रवाई की मांग
वहीं कांग्रेस की एक और नेता रागिनी नायक ने भी केंद्रीय मंत्री जोशी पर निशाना साधा। उन्होंने जोशी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। कांग्रेस नेता ने कहा कि, आप किसी का दुख साझा नहीं कर सकते तो इस तरह के बयान तो ना दें। आप छात्र नवीन की मौत का मजाक उड़ा रहे हैं। यही नहीं उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान पर केंद्रीय मंत्री जोशी और पीएम मोदी से माफी मांगनी चाहिए।
वहीं कांग्रेस की एक और नेता रागिनी नायक ने भी केंद्रीय मंत्री जोशी पर निशाना साधा। उन्होंने जोशी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। कांग्रेस नेता ने कहा कि, आप किसी का दुख साझा नहीं कर सकते तो इस तरह के बयान तो ना दें। आप छात्र नवीन की मौत का मजाक उड़ा रहे हैं। यही नहीं उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान पर केंद्रीय मंत्री जोशी और पीएम मोदी से माफी मांगनी चाहिए।
एनसीपी ने बताया गैर जिम्मेदाराना बयान
कांग्रेस के साथ-साथ एनसीपी ने भी बीजेपी नेता के बयान पर तीखा हमला बोला। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि कि यूक्रेन में फंसे छात्रों और उनके अभिभावकों दोनों के लिए हालात अच्छे नहीं हैं। हमारा ध्यान भारतीय यात्रियों को सुरक्षित निकालने पर होना चाहिए। यह सोचकर चिंता होती है कि ऐसे माहौल में भी हमारे कुछ मंत्री कठोर, असंवेदनशील और गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं।
इस वजह से विदेश जाते हैं भारतीय स्टूडेंट्स
दरअसल यूक्रेन जैसे देशों में भारतीयों के लिए मेडिकल की पढ़ाई करना सस्ता होता है। यही वजह है कि भारतीय स्टूडेंट्स बड़ी संख्या में वहां जाते हैं। यूक्रेन व रूस समेत कई देशों में पांच साल में करीब 30 लाख रुपए खर्च करके मेडिकल की पढ़ाई पूरी की जा सकती है।
जबकि भारत में इसका खर्च 70 लाख से एक करोड़ तक पहुंच जाता है। यदि सीटें कम हों तो दिक्कतें और ज्यादा बढ़ जाती हैं।
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