अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने अपने फैसले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इस निर्णय के बाद औवेसी ने अपनी नाराजगी जाहिर की है।
अदालत के इस फैसले को ‘अप्रिय’ बताते हुए हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा कि इस निर्णय ने हिंदुत्व की विचारधारा और इसके अनुयायियों की सामूहिक अंतरात्मा को संतुष्ट किया है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “कानून का राज कहां तक चलेगा? आज एक भारतीय मुसलमान होने को लेकर मैं शर्म, असहाय और अपमान की वो भावना महसूस कर रहा हूं, जो 6 दिसंबर 1992 को मैंने महसूस की थी। जब बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था तब मुझे ऐसा ही लगा था।”
उन्होंने आगे बताया कि पहले उन लोगों ने राम मंदिर को मुद्दा बनाया। इसके बाद उन्होंने तबाही मचाने के लिए देशभर में रथयात्रा भी निकाली। और फिर इसके बाद बाबरी मस्जिद के विध्वंस की अध्यक्षता भी की और जो आज आजाद हो गए हैं और उन्हें इस फैसले से ईनाम दिया गया है।
ओवैसी ने आगे कहा, “भारतीय मुस्लिम होने के नाते मुझे 1950 से इस मुद्दे पर न्याय नहीं मिला है।” इतना ही नहीं ओवैसी ने अदालत के निर्णय से लोगों के बीच जाने वाले संदेश को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा, “यदि आप हिंसक बल का उपयोग करते हैं या अगर आप हिंसा का इस्तेमाल करते हैं तो आपको पुरस्कृत किया जाएगा। अब कानून एक मजाक बन कर रह गया है। आप कानून को लात मार सकते हैं। आपको इसके लिए पुरस्कृत किया जाएगा।”
हैदराबाद से सांसद अदालत के उस विचार से काफी ज्यादा असहमत दिखे, जिसमें कहा गया था कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के पीछे पहले से कोई साजिश नहीं रची गई थी। उन्होंने सीबीआई के उस आरोप पत्र का भी हवाला दिया, जिसमें यह कहा गया था कि 5 दिसंबर 1992 को विनय कटियार के घर पर लाल कृष्ण आडवाणी और अन्य ने इस संबंध में साजिश रची थी। उस दौरान यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को बाबरी मस्जिद के ध्वस्त होने तक इस्तीफा नहीं देने की बात आडवाणी ने कही थी।
जानिए बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की अदालती प्रक्रिया और आरोपियों की पूरी कहानी
ओवैसी ने आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद विध्वंस से आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती मशहूर हो गए। बाबरी मस्जिद गिराने के लिए उन्हें राजनीतिक रूप से पुरस्कृत किया गया। उन्होंने कहा, “पूरी दुनिया ने देखा कि वहां (अयोध्या) लोगों को किसने इकट्ठा किया? किसके इशारे पर और किसकी मौजूदगी में मस्जिद को गिराया गया?”
एआईएमआईएम चीफ ने कहा कि सीबीआई को अपनी आजादी की रक्षा के लिए इस निर्णय के खिलाफ अपील करनी चाहिए। इतना ही नहीं ओवैसी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से अपील की कि वो भी इस फैसले को चुनौती दे। ओवैसी ने सरकार पर तंज करते हुए एक शायरी भी ट्वीट की, जिसमें उन्होंने लिखा, “वही कातिल, वही मुंसिफ, अदालत उसकी, वो शाहिद.. बहुत से फैसलों में अब तरफदारी भी होती है।”